इंदौर (Indore News) : इंदौर की फौजदारी अदालत ने चेक डिसजानर के मामले को गंभीर मानते हुए एच.डी. एफसी बैंक के मार्केटिंग मैनेजर को 8 साल पूर्व लिये गये 10 लाख के चेक अनादरण के मामले में 17.56,000 रुपये फरियादी अनिल जिराती को अदा करने और माह का सश्रम कारावास तथा राशि अदा करने में त्रुटी होने पर 2 माह का अतिरिक्त कारावास भुगराने का फैसला दिया।
प्रकरण में बिजलपुर निवासी अनिल जिराती पिता रामचन्द्र जिराती के अधिवक्ता के.पी. माहेश्वरी के अनुसार अभियुक्त एच.डी.एफ.सी. बैंक इंदौर में मैनेजर होकर उसने परिवादी से मित्रता की और10 लाख रूपया लेकर ऑडी कार क्रमांक MP 09 NX 0001 के ऋण चुकाया और इस हेतु भुगतान वापसी के लिए चार माह बाद का आई.डी.बी.आई. बैंक सुदामा नगर का 10 लाख का चेक दिया किंतु बैंक डिसआनर होने पर फरियादी की मांगनी को ठुकरा दिया तो फरियादी ने कोर्ट में दावा किया।
न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी हीरालाल सिसोदिया ने विचारण पाया कि अभियुक्त तरुण पिता जगदीश व्यास द्वारा दिया गया आई. डी. बी. आई. बैंक का चेक जब बैंक ऑफ इंडिया, बिजलपुर शाखा में पेश किया तो आरोपी के खाते में रुपया नहीं था, नोटिस की मियाद में उसने भुगतान नहीं किया और मात्र 2 लाख रूपये ही आर. टी. जी. एस. से भेजे जबकि परिवादी कृपक होकर खेती की आय से उसने कड़ी मेहनत करके इकट्ठे पैसे आरोपी को दिये थे और आरोपी ने चेक खुद के हस्ताक्षर से जारी किया।
आरोपी बैंक मेनेजर तरुण व्यास ने अपने बचाव में कई तर्क दिये किंतु अदालत ने विवादित चेक पर अभियुक्त के हस्ताक्षर स्वीकृत होने से परिवादी का मामला प्रमाणित माना कि उधार दी गई रकम की अदायगी पेटे ही चेक दिया गया है। आरोपी का बचाव विश्वसनीय नहीं पाया गया, क्योंकि उसने ऋण की अदायगी हेतु चेक प्रदत्त किये हैं। अदालत द्वारा आरोपी तरुण व्यास को दोष सिद्ध ठहराया गया और 6 माह के सश्रम कारावास 17,56,000/- रूपये का अर्थदंड और दो माह में अदायगी में त्रुटी की तो दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने के निर्देश देते हुए उसे न्यायालय की अभिरक्षा में लेकर सजा वारंट के द्वारा सजा भुगतान के लिए केंद्रीय जेल इंदौर भेजे जाने के आदेश दिये। प्रकरण में परिवादी अनिल जिराती की ओर से पैरवी अधिवक्ता के.पी. माहेश्वरी प्रतीक माहेश्वरी, पवन तिवारी, सौरभ जैन, अमृता सोनकर, कविता सोलंकी एवं सपन सोनकर द्वारा की गई।