सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात ATS की टीम ने घर से गिरफ्तार कर लिया। तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लेने की वजह उनके एनजीओ से जुड़ा एक मामला जिसको लेकर उन्हें हिरासत में लिया गया है। गुजरात ATS की टीम उन्हे उनके घर से हिरासत में लेकर शांताक्रूज थाने पहुंची। दरअसल यह पूरा मामला गुलबर्ग सोसाइटी की घटना के रूप में चर्चित है। एक ट्रेन के डब्बे में आग लगने से हुए दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी। फरवरी 2002 में 59 तीर्थयात्री भी मारे गए थे। जिसके करीब एक दशक बाद एसआईटी रिपोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी मामले में ‘ अभियोजन योग्य सबूत नहीं’ की बात कहते हुए नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त कर दिया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा संचालित एनजीओ ने गुजरात दंगों के बारे में पुलिस को आधारहीन जानकारी दी थी। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के दंगों के मामले में राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दोष मुक्त करने के खिलाफ दायर एक अपील को शुक्रवार को खारिज कर दिया। अमित शाह ने आगे कहा था कि मैंने फैसले को बहुत ध्यान से पढ़ा है, फैसले में स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है और उनके द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ- मुझे उस एनजीओ का नाम तो याद नहीं है, उन्होंने पुलिस को दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी।
Gujarat ATS team reaches Teesta Setalvad’s residence in Mumbai related to a case on her NGO pic.twitter.com/N2hkuqPG00
— ANI (@ANI) June 25, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में छानबीन की जरूरत है, क्योंकि जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने स्वार्थ के लिए किया। तीस्ता सीतलवाड़ इस पूरे मामले से जुड़ी रही इसकी वजह भी सामने आई है बताया जा रहा है कि जकिया अहसान जाफरी इस मामले की असली पीड़ित हैं। इसीलिए तीस्ता अपने हिसाब उन्हें मुकदमे में मदद करती रहती और खुद को नियंत्रित कर रही थी। गरज के बदले की भावना से मुकदमे में तीस्ता को दिलचस्पी रही जिससे वह अपने मनमुताबिक चीजें भी जुड़वाती और मनमुताबिक बाते गढ़ रही थी। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों पर एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को रद्द कर दिया था। इस याचिका को जाकिया जाफरी ने दाखिल किया था।