राज्यपाल ने की मध्यप्रदेश राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की समीक्षा, 14 जिलों में चलेगा द्वितीय चरण

Shraddha Pancholi
Published on:

इंदौर: राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सिकल सेल एनीमिया रोग प्रबंधन के लिए सिकल सेल वाहक और रोगियों की संख्या प्राप्त किया जाना प्राथमिक आवश्यकता है। कार्य की गति और व्यापकता के लिए स्क्रीनिंग कार्य में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर जोड़ा जाये। आँगनबाड़ी, स्कूल, छात्रावास और महाविद्यालयों के स्क्रीनिंग शिविर में मिलने वाले सिकल सेल वाहक अथवा रोगी के परिजन की जाँच कराई जाये। राज्यपाल पटेल मध्यप्रदेश राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की राजभवन में समीक्षा कर रहे थे। बैठक में इंदौर से होम्यौपैथी के चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी को भी आमंत्रित किया गया था।

Must Read- MP में पहले दिन ही ढेर हुआ नौतपा, सागर-रीवा में हुई बारिश, इंदौर को करना होगा इंतजार
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया प्रबंधन मानवता की सेवा का कार्य है। इससे जुड़े हर व्यक्ति को व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए। दिल, दिमाग लगाकर की गई सेवा के परिणाम सदैव सुखद और आनंददायी होते हैं। उन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि शेरों की मृत्यु की सूचना पर वे स्वयं तत्काल घटना स्थल पर समीक्षा के लिये पहुँच गये थे। राज्यपाल ने अधिकारियों से इसी संवेदनशीलता के साथ कार्य की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि कार्य का लक्ष्य सदैव बड़ा रखना चाहिए। इससे कार्य में गति आती है। परिणाम बेहतर प्राप्त होते हैं। उन्होंने सिकल सेल एनीमिया के उपचार प्रयासों में आयुर्वेद और अन्य पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियों को शामिल किए जाने के संबंध में पहल की जरूरत बताई।

Must Read- साउथ का ये सुपरस्टार रहता है महलों में, Ambani का घर भी इसके आगे कुछ नहीं

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी में जन-मानस के लिए गिलोय की औषधीय उपयोगिता से पहचान हुई है। आयुर्वेद में ऐसी अनेक जड़ी-बूटियाँ और उनके जानकार हैं। आवश्यकता उनके संबंध में प्रामाणिकता के साथ जानकारी संकलित किए जाने की है। बैठक में डॉ. एक द्विवेदी ने सुझाव दिया कि जितने भी केस है उन्हें इस तरीके से डिस्ट्रीब्यूट किया जाए कि सिकल सेल एनीमिया के जितने भी मरीज होंगे उसमें से 40 प्रतिशत मरीज एलोपैथी विभाग, 30 प्रतिशत आयुर्वेद को और 30 प्रतिशत होम्योपैथी को। इस तरह से सभी चिकित्सा पद्धति में से जिसका बेहतर चिकित्सा परिणाम आएगा आगे उसे ही मरीजों का उपचार करने के लिए ज्यादा केस दिए जाएं। डॉ. द्विवेदी की इस सलाह को बैठक में सराहा गया।

Must Read- MP Panchayat Chunav Aarakshan List 2022: इंदौर विधानसभा नंबर एक में हुआ सबसे ज्यादा ओबीसी उम्मीदवारों का आरक्षण

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के मरीजों में सबसे बड़ी परेशानी होती है उनका दर्द। तो उस दर्द कम करने तथा खून बढ़ाने दोनों के लिए ही होम्योपैथी में दवाएं उपलब्ध है। ऐसे मरीज जिन्हें एलोपैथी की आयरन की टेबलैट खाने से कब्ज या दस्त लग जाता है उसके लिए उन्हें होम्योपैथिक दवाईयां दी जाए तो उससे उन्हें ना तो कब्ज होगा ना दस्त लगेगा। साथ ही उनके दर्द में राहत होगी और हिमोग्लोबिन भी तेजी के साथ बढ़ सकता है। राजभवन में हुई इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग, नेशनल हेल्थ मिशन, आयुष विभाग, जबलपुर आईसीएमआर सहित जनजातीय विभाग के आला अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में अध्यक्ष जनजातीय प्रकोष्ठ दीपक खांडेकर, जन-अभियान परिषद के महानिदेशक बी.आर. नायडू, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा, प्रमुख सचिव आयुष प्रतीक हजेला, सचिव स्वास्थ्य डॉ. सुदाम खाड़े, सचिव जनजातीय प्रकोष्ठ बी.एस. जामोद, प्रबंध संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रियंका दास, इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च जबलपुर, जनजातीय प्रकोष्ठ के सदस्य एवं संबंधित विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।