चालू वर्ष में FII यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजार से ज्यादा पैसा निकाला है। इसकी पुष्टि NSDL और CSDL के आंकड़ों से साफ होती है। लेकिन आज हम चर्चा करेंगे कि कौन से सेक्टर विदेशी निवेशकों के निशाने पर सबसे ज्यादा हैं। जी हां, पांच ऐसे सेक्टर सामने आए हैं जिनमें विदेशी निवेशकों ने करोड़ों रुपये का निवेश किया है। 1 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम निकाली गई है।
कई विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी ऊंचे शेयर मूल्यांकन के कारण है। दूसरी ओर, ऐसा कोई ट्रिगर नहीं उभर रहा है जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में पैसा रोका जा सके।
यही कारण है कि विदेशी निवेशक भारत से बाहर ऐसे बाजारों में पैसा लगा रहे हैं, जिनका वैल्यूएशन भारतीय बाजारों से कम है और रिटर्न ज्यादा है। आइए आंकड़ों की भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि वो कौन से सेक्टर हैं जिनसे विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा पैसा निकाला है।
इन सेक्टरों को बनाया गया निशाना
कैलेंडर वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों में अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई ने पांच प्रमुख क्षेत्रों वित्त, तेल और गैस, एफएमसीजी, आईटी और निर्माण से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। 15 जून तक, एफआईआई ने लगभग रु. का निवेश किया था। 53,438 करोड़ वित्तीय स्टॉक, रु. 13,958 करोड़ तेल और गैस स्टॉक, रु। 12,911 करोड़ मूल्य के एफएमसीजी स्टॉक, रु. 13,213 करोड़ मूल्य के आईटी स्टॉक और रु. 9,047 करोड़ रुपये के निर्माण स्टॉक बेचे गए।
वहीं, उपभोक्ता सेवाओं, पूंजीगत वस्तुओं, दूरसंचार, सेवाओं और रियल्टी सेक्टर में खरीदारी देखी गई है। खास बात यह है कि एक पखवाड़े को छोड़कर पहले 6 महीने में रु. 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध बहिर्प्रवाह देखा गया है।
एफआईआई पैसे क्यों निकाल रहे हैं?
एफआईआई की बिकवाली का मुख्य कारण शेयर बाजार का लगातार बढ़ता वैल्यूएशन है। परिणामस्वरूप, एफआईआई इक्विटी मार्च में तिमाही-दर-तिमाही 0.51 प्रतिशत गिरकर 11 साल के निचले स्तर 17.68 प्रतिशत पर आ गई। अगले 6 महीनों में, एफआईआई प्रवाह के लिए तीन बड़े ट्रिगर केंद्रीय बजट, यूएस फेड ब्याज दरें और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव परिणाम होंगे।
हाल के अमेरिकी रोड शो में 50 से अधिक निवेशकों से मिलने के बाद, जेफ़रीज़ के विश्लेषकों का मानना है कि कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में भारत में एफआईआई प्रवाह में सुधार देखा जाएगा। खासकर तब जब बजट के बाद मोदी 3.0 की नीतियों पर स्पष्टता आएगी।