Divorce पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा – पत्नी की मानसिक क्रूरता से आजाद होना पति का अधिकार, कष्टपूर्ण विवाह सहना जरूरी नहीं

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पति ने शारीरिक जख्म और धमकियों के कई मामलों का हवाला दिया। इस बात पर प्रकाश डाला कि पति पर घरेलू वस्तुओं से हमला किया गया।

Kalash Tiwary
Kalash Tiwary
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High court On Divorce : इन दिनों जहां वैवाहिक संबंधों में लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। हत्याएं और तलाक की खबरें आजकल समाज में डरावनी स्थिति बना रही है। इसी बीच हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है।

दरअसल हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून पति को उस विवाह को सहने के लिए बाध्य नहीं कर सकता, जो पीड़ा और प्रताड़ना का स्रोत बन गया है। उड़ीसा हाई कोर्ट में फैसले में स्पष्ट किया है कि पीड़ित व्यक्ति शांति और भावात्मक राहत पाने का हकदार है और ऐसे में वह उसे विवाह से हटने की आजादी मिलती है।

पत्नी द्वारा बार-बार आत्महत्या या हिंसा की धमकी देना, भावात्मक ब्लैकमेल और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का कपट पूर्ण रूप है। इसे मानसिक क्रूरता के तहत तलाक का वैद्य आधार माना जा सकता है। दरअसल एक दंपति ने तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी। जिस पर उड़ीसा हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि न्याय मूर्ति चितरंजन दास और बीपी की खंडपीठ ने महिला द्वारा अपील याचिका को खारिज कर दिया है।

आत्महत्या या हिंसा की धमकी देना, भावात्मक ब्लैकमेल और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का कपट पूर्ण रूप- HC

इस याचिका में महिला ने अपने पति को तलाक देने के लिए फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था की पत्नी का आचरण मानसिक क्रूरता दर्शाता है। बता दे कि अगस्त 2023 में कटक फैमिली कोर्ट द्वारा पारित संयुक्त फैसले के बाद यह अपील तैयार की गई थी। इसमें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पति को तलाक दिया गया था और पत्नी को 63 लाख रुपए का स्थाई गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था।

हाई कोर्ट का फैसला 

इसके साथ ही कोर्ट ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग के लिए पत्नी की प्रति याचिका को खारिज कर दिया था। अब हाई कोर्ट ने अपने फैसले में फैमिली कोर्ट के निष्कर्ष को बरकरार रखा है और कहा है कि पत्नी द्वारा बार-बार आक्रामक व्यवहार करना वित्तीय नियंत्रण करने की कोशिश करना, पति के बुजुर्ग माता-पिता को घर से निअक्लने के लिए स्थाई गुंडों का इस्तेमाल करना और पति और उसके परिवार के खिलाफ लगातार FIR और मुकदमे दर्ज करना, उसकी मानसिक क्रूरता का एक स्वरूप है। इसे उत्पीड़न माना जा सकता है। इस आधार पर पति विवाह को सहने के लिए बाध्य नहीं है और वह शांति और भावात्मक राहत पाने का हकदार है।

बता दे कि इस जोड़े द्वारा 2023 में विवाह किया गया था और कटक, भुवनेश्वर, बेंगलुरु, अमेरिका और जापान सहित विभिन्न स्थानों पर रहने के बाद दोनों पक्षों की ओर से मौखिक दुर्व्यवहार हिंसा और जबरदस्ती के आरोप के साथ शादी में कड़वाहट आ गई। पति ने आरोप लगाए कि पत्नी ने उसे अपने परिवार से संबंध तोड़ने के लिए मजबूर किया है और वित्तीय रूप से उसे पर हावी रहती है।उसके वित्तीय नियंत्रण करने की कोशिश करती है।

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पति ने शारीरिक जख्म और धमकियों के कई मामलों का हवाला दिया। इस बात पर प्रकाश डाला कि पति पर घरेलू वस्तुओं से हमला किया गया। अमेरिका में उसे चोटें आई और पत्नी द्वारा लगातार उत्पीड़न और उसके कार्य स्थल पर व्यवधान डालने की कोशिश की गई।

जिसके कारण उसे अपनी टीसीएस की नौकरी से भी इस्तीफा देना पड़ा। ऐसे में वह इस विवाह को सहने के लिए बाध्य नहीं है और पत्नी के पति पर मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न को मानसिक क्रूरता मानते हुए इस तलाक का वैद्य आधार माना जा सकता है।