आप बीती/ नवनीत शुक्ला
मैं ग्रेटर कैलाश अस्पताल में 7 दिन भर्ती होने के बाद पूरी तरह स्वस्थ होकर स्वयं ही अपना स्कूटर चला कर घर लौट आया हूं। मेरा फेफड़ों में इन्फ़ेक्शन 35-40 फीसद था। मुझे अस्पताल में एक बात समझ में आई, कोरोना संक्रमण के कारण खाने का स्वाद नहीं आने और बुख़ार के कारण इच्छा नही होने पर चाहे अस्पताल में दाखिल मरीज हों या होम आइसोलेशन हो मरीज खाते नहीं हैं।मरीजों को खाना नहीं छोड़ना चाहिए और जो स्वस्थ हैं या मरीज हैं उन्हें गर्म पानी ही पीते रहना चाहिए।
अस्पतालों में जिस तरह मरीजों का दबाव और कर्मचारियों के पास समय की भारी कमी के कारण स्टॉफ कर्मियों के पास इतना वक्त नहीं कि वे हर मरीज का खयाल रखें कि उसने खाना खाया या नहीं।ऐसे में उन बुजुर्ग मरीजों को कोई अपने हाथों से खाना खिला दे यह भी संभव नही।ऐसी स्थिति में हो यह रहा है कि हर मरीज के सामने भोजन की थाली रख दी जाती है और आधे घंटे बाद, चाहे मरीज ने खाना खाया हो या नहीं, वह थाली वैसे ही हटा ली जाती है।
इसका सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा बुज़ुर्गों ओर कमजोर शरीर हो चुके मरीजों को उठाना पड़ता है! 36 घंटे में ही भयानक कमजोरी आ जाती है, और ऑक्सिजन का लेवल नीचे आ जाता है, जिसके कारण भयानक दिक़्क़तें होने लगती है। मुझे एक बात समझ में आई कि आपके आसपास कोई भी हो जिसके परिवार का सदस्य अस्पताल में भर्ती है, तो उसे संदेश पहुँचाएं कि नहीं भी इच्छा हो रही हो तो भी खाने में कोई कमी नहीं करें। पूरा आहार लेने के साथ ही मख़ाने, किशमिश, नारियल पानी भी लेते रहें वरना आप बीमारी से पहले ही कमजोरी के शिकार हो जाएँगे! जिन लोगों ने दुनिया छोड़ी है, वे बीमारी की बजाय कमजोरी के कारण ही इसके शिकार बने।
मैं मेरे साथ दाखिल 6 अन्य बुज़ुर्गों को बेहतर खाना खिलाने का ध्यान रख कर वापिस ले कर आया हूँ।यदि आप या आप का परिजन अस्पताल में दाखिल होने जा रहा है तो ऐसे तमाम मरीज़ों से कहें भूख भले ही न लगे, भले ही खाना बेस्वाद लगे लेकिन खाना जरूर खाएं और आसपास के बेड वाले मरीजों को भी दोनों वक्त भोजन करने के लिए प्रेरित करें। खाने के लिए एक दूसरे का ध्यान अस्पताल में अवश्य रखें! खाने में कोई कमी नही रखें और पानी भी पीते रहें।
गर्म पानी पीना जारी रखें, पड़ोस के बेड वाले मरीज का दुख बांटें यदि आप संक्रमण के शिकार हो गए हैं तो गर्म पानी पीना शुरु कर दें।स्वस्थ है तब भी पूरे वक्त गर्म पानी ही पिएं।इससे पेट तो साफ रहेगा ही, यूरीन की समस्या भी नहीं होगी। फेफड़ों में संक्रमण की स्थिति में गर्म पानी से कफ की शिकायत दूर होगी।
अपने पड़ोस के बेड वाले मरीज को दोस्त बनाएं
एक तो कोरोना संक्रमण और ऐसे में अस्पताल में दाखिल होने पर अकेलापन तोड़ने लगता है।फोन पर परिजनों को भी हालचाल हर रोज पता चल ही जाएं यह भी संभव नहीं।इन सारे कारणों से मरीज हताशा का शिकार होने पर यह भी याद नहीं रखते कि उसके आसपास के बेड वाले मरीज भी ऐसे सारे हालात से गुजर रहे हैं।बेहतर यह हो सकता है कि आसपास के मरीजों से पहचान करें, एक दूसरे कि समस्या जानें, हौंसला बढ़ाएं, परिजनों से बातचीत न हो रही हो तो अपने साथ के मरीजों को ही परिजन मान कर एक दूसरे को हिम्मत बंधाएं।जो बुजुर्ग मरीज हैं उन्हें खाने के लिए प्रेरित करे, संभव हो तो अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाएं।