इंदौर। आमतौर पर बुजुर्गों में देखी जाने वाली बीमारी, डिमेंशिया यानी की भूलने की बीमारी का मुख्य कारण बढ़ती उम्र होती हैं, जिसमें 65 साल की उम्र के बाद 5 प्रतिशत, 70 साल में 10 तो 80 साल की उम्र वालों में यह 20 प्रतिशत पाया जाता है। वहीं हमारी बदलती लाइफ स्टाइल से डिप्रेशन, एंजाइटी बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल, और सोशल रीजन से होती है। यह बात सुपर सुपर स्पेशलिस्ट साइकेट्रिस्ट कंसलटेंट डॉ रमण शर्मा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। उन्होंने बताया कि बायोलॉजिकल कारण में ब्रेन में केमिकल का इंबेलेस होना, जेनेटिक, ड्रग्स अल्कोहल का ज्यादा सेवन जैसे कारण होते हैं, साइकोलॉजिकल में नकारात्मक सोच और बर्ताव इसके कारण होते हैं, वहीं सोशल रीजन में ख़ुद को आइसोलेट करना और अन्य कारण सामने आते हैं। कई प्रकार के डिमेंशिया होते है, जो एसिटाइल कॉलिन, सेरोटोनिन, डोपामाइन, केमिकल के इंबैलेंस होने और अन्य कारणों से होते हैं।
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में डॉ. शर्मा अकेले सुपर स्पेशलिस्ट साइकेट्रिस्ट है।
ब्रेन के फ्रंट या टेंपोरल पार्ट में प्रॉब्लम होने से फ्रांटो टेमपोरल पार्ट्स में डिमेंशिया के केसेस देखने को मिलते हैं। इस प्रकार के केस में मेमोरी से ज्यादा बिहेवियर प्रॉब्लम सामने आती है, जिसमें इंसान अग्रेसिव हो जाता है। डॉ. शर्मा ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से की, इसके बाद लंदन की मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम प्लैब पास कर साइकेट्रिस्ट की 3 साल की स्पेशल ट्रेनिंग हेल्थ एजुकेशन ईस्ट ऑफ इंग्लैंड कैंब्रिज डीनरी से पूरी की। जिसमें ओल्ड एज साइकाइट्री, चिल्ड्रन साइकाइट्री, एडिक्शन साइकाइट्री, लर्निंग डिसेबिलिटी, साइको थेरेपी और अन्य विभागों में ट्रेनिंग की।
और लुटन एंड बेडफर्ट हॉस्पिटल से कंप्लीट किया। उन्होंने साइकाइट्री की प्रतिष्ठित एग्जाम पास कर एमडी के एक्वेलेंट डिग्री एमआरसीपी एसवायसीएच रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन साइकेट्रिस्ट से हासिल की। उन्होने ओल्ड एज साइकाइट्री में सुपर स्पेशलाइजेशन किया। एमपी सीजे में वह अकेले सुपर स्पेशलिस्ट है। इसी के साथ 2 साल का एडिक्शन साइकाइट्री में फेलोशिप प्रोग्राम और अन्य डिग्रिया हासिल की है। वर्तमान में वह कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट के रूप में जुपिटर और मेदांता हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी के साथ उषा की आशा नामक क्लिनिक पर अपनी सेवाएं देते हैं।
भूलने की समस्या मानसिक तनाव, विटामिन B 12, फोलिक एसिड की कमी से भी देखने को मिलती है।
खासकर यंग जेनरेशन में डिमेंशिया से हटकर भूलने की समस्या सामने आती है, जो की मानसिक तनाव, विटामिन B 12, फोलिक एसिड, और थायरॉयड की कमी से भी देखने को मिलती है। वहीं बच्चों में लेक ऑफ कंसंट्रेशन, आईक्यू लेवल और अन्य समस्याएं देखी जाती है, जो की बचपन में चोंट लगना, बर्थ में डिले होने से ऑक्सीजन मस्तिष्क तक नही पहुंच पाना, प्रॉपर ब्रेन डेवलपमेंट नहीं होना जैसे कारणों से होती है। वहीं माता पिता के झगड़े, स्कूल में बेहतर परफॉर्मेंस ना करने और स्ट्रेस लेने से बच्चों में इस तरह को समस्या सामने आती है।
आज के दौर में 5 करोड़ लोगों को एंजाइटी और 6 करोड़ लोगों को डिप्रेशन की समस्या है।
एल्जाइमर डिमेशिया से ब्रेन के एक हिस्से में सिकुड़न आने से हो जाती है। और इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। कई बार 60 साल से पहले भी इसके लक्षण देखने को मिलते है। वहीं कई लोगों में वेस्कुलर डिमेंशिया के लक्षण सामने आते हैं। जिसमें मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति में समस्याओं के कारण यह समस्या सामने आती है , आमतौर पर मामूली स्ट्रोक की एक श्रृंखला , जिससे संज्ञानात्मक क्षमता बिगड़ती है , टुकड़े-टुकड़े घटती है। आज के दौर में हर 4 इंसान में से एक को मेंटल हेल्थ की समस्या होती है। अगर बात आंकड़ों की करी जाए तो 5 करोड़ लोगों को एंजाइटी और 6 करोड़ लोगों को डिप्रेशन की समस्या है। वहीं धीरे धीरे लाइफ एक्सपेंटेंसी बढ़ती जा रही है, वैसे ही बुजुर्गो में डिमेंशिया के चांस भी बढ़ते जा रहे हैं।कई बार इसका समय पर इलाज ना करवाने से पेशेंट की जान तक का सकती है, आजकल बेहतर दवाइयों और थेरेपी की मदद से इसे डिले किया जा सकता है।