देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदुषण को काबू में करने के लिए दिल्ली सरकार के तमाम उपाय फैल होते हुए नज़र आ रहे है। यहाँ की हवा में कोई सुधार होते हुए नहीं दिख रहा है। सोमवार की सुबह को कुछ इलाके में हवा की गुणवत्ता श्रेणी बहुत ही गंभीर एवं चिंताजनक हालत में पहुंच गई है। इस प्रदूषण के कारण लोगो में आंख में जलन और सास लेने की समस्या लगातार सामने आ रही है। AQI का लेवल दिल्ली के आनंद विहार में 484, मुंडका में 470, ओखला फेज 2 में 465 और वजीरपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांग 468 पाया गया। यह बच्चो एवं बुजुर्ग के बहुत घातक साबित हो सकता है। इसे सीवियर कैटेगरी माना जाता है और इसकी वजह से कई तरह की बीमारियों के होने की आशंका बनी रहती है।
वही दूसरी तरफ बीते दिन यह खबर समाने आयी थी की दिल्ली में प्रदूषण होने की मुख्य वजह कथित रूप से पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलना माना जा रहा है। वही रविवार को भी राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता बहुत ही गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ऐप के अनुसार दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 426 दर्ज किया गया था जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। . पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी संगठन वायु गुणवत्ता प्रणाली एवं मौसम पूर्वानुमान व शोध (सफर) के अनुसार जब तक दिल्ली से लगे हुए आस पास के इलाको में पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी नहीं आती है तब तक दिल्ली में तब तक सुधार होने की संभावना नहीं है।
सफर ने कही ये बात
सफर ने बतया कि दिल्ली में प्रदूषण में जल्द काबू नहीं पाने का मुख्य कारण है कि सतही हवाएं शांत हो गई हैं जो अब तक मध्यम थी और अगले दो दिन तक इनके हल्का रहने रहेंगी। और सुधार तभी हो पाएगा जब पराली जलाने की घटनाओं में कमी आए।