भारतीय रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 23 अगस्त से 26 अगस्त तक अमेरिका की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। इस यात्रा का निमंत्रण अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन की ओर से आया है। वाशिंगटन में अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह लॉयड ऑस्टिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से भी मुलाकात करेंगे।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में वृद्धि
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रक्षा साझेदारी को और भी गहरा और व्यापक बनाना है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के प्रयासों का हिस्सा है। राजनाथ सिंह अमेरिकी रक्षा उद्योग के साथ वर्तमान और भविष्य के रक्षा सहयोग पर चर्चा के लिए एक बैठक की भी अध्यक्षता करेंगे।
प्रमुख चर्चा बिंदु
राजनाथ सिंह और लॉयड ऑस्टिन के बीच बातचीत के दौरान तीन प्रमुख रक्षा खरीद विषयों पर चर्चा की जाएगी:
- ड्रोन खरीद: भारत 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की योजना बना रहा है। इसमें भारतीय नौसेना के लिए 15 ड्रोन और भारतीय सेना तथा वायु सेना के लिए आठ-आठ ड्रोन शामिल हैं। इनकी अनुमानित लागत ₹40,000 लाख (4 बिलियन डॉलर) है। जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित ये ड्रोन लगभग 1,800 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ हैं और वर्तमान में अमेरिकी वायु सेना और नाटो सहयोगियों द्वारा उपयोग किए जाते हैं।
- स्ट्राइकर आईसीवी का संयुक्त विनिर्माण: भारत और अमेरिका मिलकर स्ट्राइकर बख्तरबंद पैदल सेना लड़ाकू वाहनों (आईसीवी) की नवीनतम पीढ़ी का संयुक्त रूप से निर्माण करने पर विचार कर रहे हैं। इस पर जुलाई में टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर दी थी।
- GE F414 इंजन का सह-उत्पादन: भारतीय सेना के लिए लगभग 530 पैदल सेना लड़ाकू वाहनों (आईसीवी) की खरीद पर भी विचार चल रहा है। इसके अतिरिक्त, जनरल इलेक्ट्रिक (GE) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के बीच समझौते के तहत, GE F414 इंजन का भारत में सह-उत्पादन किया जाएगा। यह इंजन स्वदेशी तेजस मार्क-2 फाइटर जेट के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
राजनाथ सिंह की इस यात्रा से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में नई गति मिलेगी। दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता और रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के प्रयास इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। इससे भविष्य में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध और भी अधिक गहरे और प्रभावशाली होंगे।