मध्य प्रदेश में अब शहरों की तस्वीर बदलने वाली है। सरकार ने एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है ताकि नगरीय निकायों के खर्चों पर लगाम लगाई जा सके और शहरों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इस नई पहल के तहत अब हर शहर में सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगे, जिससे बिजली का खर्च लगभग आधा हो जाएगा। साथ ही, डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन आएंगे, जिससे ईंधन पर होने वाला खर्च भी बचेगा।
अब हर शहर में चमकेंगे सोलर प्लांट
नगरीय विकास विभाग ने सभी निकायों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अपने खर्चों में कटौती करें और केवल जरूरी कामों पर ही पैसा खर्च करें। इसका सबसे बड़ा हिस्सा बिजली के बिल पर खर्च होता है, इसलिए विभाग ने अब सोलर पावर प्लांट लगाने का फैसला किया है। जिन निकायों के पास जगह है, वे अपने शहर में ही प्लांट लगाएंगे, जबकि जिनके पास जमीन नहीं है, वे दूसरे जिलों में भी प्लांट लगाकर अपनी बिजली की जरूरत पूरी कर सकेंगे। जैसे, भोपाल ने नीमच में प्लांट लगाया है, जिससे बिजली का फायदा भोपाल को मिलेगा। इस कदम से बिजली का भारी-भरकम बिल काफी कम हो जाएगा और पैसा दूसरे विकास कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा।
सड़कों पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ
सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि अब वाहनों पर होने वाले खर्च को भी कम किया जाएगा। विभाग ने साफ कर दिया है कि भविष्य में सभी नए वाहन इलेक्ट्रिक ही खरीदे जाएंगे। फिलहाल पुराने डीजल वाहन चलते रहेंगे, लेकिन जैसे ही वे बेकार होंगे, उनकी जगह नए इलेक्ट्रिक वाहन ही लेंगे। खासकर कचरा उठाने वाली गाड़ियाँ धीरे-धीरे ईवी में बदल दी जाएंगी। इसके लिए शहरों में जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे ताकि काम में कोई रुकावट न आए।
महापौरों ने रखी अपनी मांगें
हाल ही में हुई एक बैठक में कई नगर निगमों के महापौरों ने अपनी समस्याएं भी बताईं। उन्होंने सुरक्षा के लिए गनमैन और सरकारी जमीन को नगर निगमों के नाम करने की मांग की। साथ ही, चुंगी की राशि सीधे निगमों को देने की बात कही, ताकि वे अपने बिल खुद चुका सकें। इंदौर की महापौर ने अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की, जबकि भोपाल की महापौर ने विसर्जन घाटों के लिए जमीन की समस्या रखी।
खर्चों में कटौती पर जोर
बैठक में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी कड़े फैसले लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि निगमों को खर्च कम करना होगा और राजस्व बढ़ाने के लिए शुल्क बढ़ाना होगा। अधिकारियों ने भी संपत्ति के किराए की दरें बढ़ाने और आय-व्यय का संतुलन सुधारने पर जोर दिया। इस पूरी पहल से उम्मीद है कि सालभर में करीब 15 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी, जिससे हमारे शहर आत्मनिर्भर बनेंगे और नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी। पिछले साल की तरह अब बिजली बिलों को चुकाने के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि सोलर ऊर्जा से यह बोझ काफी कम हो जाएगा।