राजेश ज्वेल
देश में फिर तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है और 90 हजार से अधिक मरीज 24 घंटे में मिलने लगे हैं… लेकिन आश्चर्य का विषय यह है कि पश्चिम बंगाल, केरल सहित 5 राज्यों में चल रहे चुनावों में कोरोना पूरी तरह गायब है… दुनियाभर के विशेषज्ञों-डॉक्टरों को भारत आकर ये रिसर्च करना चाहिए कि आखिर कोरोना और चुनाव के बीच रिश्ता क्या है..? अभी इन चुनावों में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है… रैलियों-सभाओं, जनसम्पर्क में बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए जो भीड़ आ रही है वो आखिर कोरोना संक्रमण का शिकार क्यों नहीं हो रही है..?
इसके पूर्व बिहार में भी जब चुनाव हुए तो वहां भी इसी तरह की भीड़ उमड़ी और अनुमान लगाया कि चुनाव बाद कोरोना विस्फोट होगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं… मध्यप्रदेश में भी उपचुनावों में ऐसी ही भीड़ देखी गई, लेकिन उन क्षेत्रों में भी बाद में कोरोना मरीज नहीं बढ़े, जबकि दीपावली के बाद एकाएक संक्रमण बढ़ा और अभी फिर वही स्थिति निर्मित हो गई… अधिकांश लोग बोलते हैं कि जहां चुनाव हैं वहां सैम्पलिंग नहीं की जा रही है, जिसके कारण मरीज नहीं मिल रहे हैं… मगर सवाल यह है कि बिना सैम्पलिंग के भी जिसे कोरोना हुआ है वह इलाज के लिए घर से बाहर तो निकलेगा ही…
इन राज्यों में ऐसे मरीजों का हाहाकार क्यों नहीं मच रहा है, जिस तरह की स्थिति महाराष्ट्र, गुजरात या मध्यप्रदेश में फिलहाल नजर आ रही है… कुल मिलाकर कोरोना का वायरस अभी भी अबूझ पहेली बना हुआ है… यह कब और कैसे तथा किन क्षेत्रों में फैलता है यह समझ से परे है…त्यौहार , शादियों और धर्म स्थलों की भीड़ से कोरोना बढ़ता है और चुनाव से नही .. यह वाकई रिसर्च का विषय है कि कोरोना और चुनाव का आखिर गठजोड़ / रिश्ता क्या है..?