Indore News : 26 जनवरी 2022 को आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य कार्यक्रम नेहरू स्टेडियम इंदौर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ ए के द्विवेदी को कोविड के समय लोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा के लिए सम्मानित किया उल्लेखनीय है कि डॉ ए के द्विवेदी ने तीनों लहर में सराहनीय कार्य किया तथा सभी लोगों ने सकारात्मक तरीके से होम्योपैथिक चिकित्सा को अपनाया भी डॉ द्विवेदी ने कहा कि लोगों की सेवा करके काफी अच्छा महसूस हुआ डॉ द्विवेदी ने इसे होम्योपैथिक चिकित्सा का सम्मान बताया तथा इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह तथा इंदौर सांसद शंकर लालवानी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद भी ज्ञापित किया
भारत में पहला पेशेंट मिलने से पहले केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद द्वारा होम्योपैथी ट्रीटमेंट (बचावव रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु) सुझाया गया था कोरोना के चलते पिछले 2 साल देश भर में लगे लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में दूसरी बीमारियों से परेशान मरीजों को दवाएं तथा अन्य चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराया आर्सेनिक एल्बम इज सेफर देन ड्रिंकिंग वाटर डॉ द्विवेदी ने आरआर कैट के वैज्ञानिकों से निवेदन किया कि वो इस दवा पर शोध कर स्थिति स्पष्ट करें ताकि मरीज इसे बेहिचक इस्तेमाल कर अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकें।
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इसमें कुछ दिक्कत हो तो भी बताएं ताकि हम इसे और सुरक्षित बनाने के उपायों पर विचार कर सकें। वहां के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के पश्चात स्पष्ट किया कि आर्सेनिक एल्बम मेडिसिन इज सेफर देन ड्रिंकिंग वाटर ….. यह हमारे लिए चौंकाने वाला खुलासा था। वैज्ञानिकों ने बताया कि आर्सेनिक एल्बम दवा में महज 2 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) आर्सेनिक है जबकि पीने के पानी में इसकी मात्रा सिक्स पीपीबी होती है और डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के अनुसार 10 पीपीबी आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित मानी जाती है।
इंटरनेशनल जनरल ऑफ होम्यो साइंस में पब्लिश हुई रिपोर्ट आरआर कैट के इन वैज्ञानिकों की रिसर्च विश्व स्तर की जानी-मानी मैगजीन इंटरनेशनल जनरल ऑफ होम्यो साइंस में पब्लिश भी हो चुकी है। यह आर्टिकल ऑनलाइन भी उपलब्ध है। इसे नेट पर एनालिसिस ऑफ आर्सेनिक एल्बम 30 से सर्च किया जा सकता है। आर्सेनिक एल्बम के नाम पर दर्ज अनूठा रिकॉर्ड आर्सेनिक एल्बम दवा के नाम पर एक अनूठा रिकॉर्ड भी दर्ज है। हुआ यूं कि 28 जनवरी 2020 को सीसीआरएच दिल्ली में होम्योपैथिक डॉक्टरों की एक अहम मीटिंग चल रही थी। उस समय तक हम लोगों ने कोरोनावायरस के बारे में विस्तृत और गहन अध्ययन नहीं किया था।
चीन के वुहान शहर और दुनिया के कुछ दूसरे देशों में इससे प्रभावित मरीजों में दिख रहे सिम्टम्स और इस वायरस क़ लेकर डब्ल्यूएचओ की सक्रियता के आधार पर यह तय था की इस समस्या को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। सीसीआरएच की उस मीटिंग के दौरान ही डायरेक्टर जनरल को आयुष मंत्रालय से फोन आया कि कोरोना समस्या को भारत में फैलने से रोकने के लिए किसी उपयुक्त होम्योपैथिक दवा का सुझाव प्रस्ताव बनाकर भेजें। उस समय मीटिंग में देश भर के करीब दो दर्जन से अधिक सीनियर मोस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर मौजूद थे और मंत्रालय से फोन आने के बाद हमारी मीटिंग का एजेंडा उस दवा पर ही केंद्रित हो गया।
आखिरकार लंबे विचार-विमर्श के बाद आर्सेनिक एल्बम दवा के नाम पर सभी चिकित्सकों की सहमति बनी और उसी दिन काउंसिल ने प्रस्ताव बनाकर मंत्रालय को भेज दिया कि आर्सेनिक एल्बम के नियमित इस्तेमाल से इम्यूनिटी बेहतर होती है। इसलिए यह कोरोनावायरस से बचाव में प्रभावकारी साबित हो सकती है। काउंसिल के प्रस्ताव के आधार पर आयुष मंत्रालय ने 29 जनवरी को इस दवा के इस्तेमाल के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी। संयोग से भारत में कोविड-19 का पहला मरीज 30 जनवरी को मिला लेकिन उससे एक दिन पहले ही होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम को इस बीमारी से बचाव के लिए इस्तेमाल करने की एडवाइजरी जारी हो चुकी थी।
इस तरह आर्सेनिक एल्बम के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज हो गया कि भारत में पहला कोरोना का पहला मरीज मिलने से पहले ही इस दवा को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में लिए जाने की एडवाइजरी जारी हो गई। 35000 लोगों ने देखा वीडियो
इस एडवाइजरी के आधार पर मैंने भी लोगों को अवेयर करने के लिए उसी दिन वीडियो बनाकर (29 जनवरी को ही) सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था। जिसे 35 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। इस दवा को वयस्क व्यक्ति के साथ साथ बच्चे और किशोर भी ले सकते हैं। उम्र के अनुसार दवा की क्वांटिटी कम-ज्यादा की जा सकती है।
फिलहाल देश में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन का सिलसिला जारी है। ऐसे में जिन लोगों को अब तक वैक्सीन नहीं लगी है, वो यह दवा लेकर कोरोना के खिलाफ अपनी इम्यूनिटी मजबूत बना सकते हैं। इधर लगा लॉकडाउन, उधर नातिन का आगमनयूं तो कोरोना काल में अपनी पूरी टीम के साथ मैंने जरूरतमंद मरीजों की खूब सेवा की और कई गंभीर रोगियों की हालत सुधार कर उनके प्राण भी बचाए। मगर व्यक्तिगत रूप से लॉकडाउन का पहला ही दिन मेरे लिए बेहद आपाधापी और तनाव भरा रहा। ऐन 25 मार्च 2020 की दोपहर करीब 2:30 बजे मेरी बेटी को लेबर पेन हुआ और हमें भारी डर और दहशत के माहौल में उसका ऑपरेशन कराना पड़ा।
उस वक्त एक-एक पल पहाड़ जैसा लग रहा था क्योंकि तब तक कोरोना वायरस के बारे में लोगों को बहुत जानकारी नहीं थी। इसलिए सब के सब इसे लेकर डरे-सहमे हुए से थे। वायरस से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या तब तक नगण्य थी, लेकिन उसका खौफ दिलोदिमाग पर इतना हावी हो गया था कि लोग एक दूसरे से बात करने में भी घबरा रहे थे। उसके बाद जैसे-जैसे वायरस के बारे में नई-नई जानकारियां पता चलती गई वैसे-वैसे दहशत क्रमशः कम होती गई और लोग सामान्य व्यवहार की ओर बढ़ने लगे। लेकिन ऐन 25 मार्च के दिन तो यह आलम था कि हर शख्स सामने वाले को शक की नजर से देख रहा था।
अनजाने भय से आशंकित होने के साथ-साथ लोग इस बात से भी काफी आतंकित नजर आ रहे थे कि कहीं उन्हें किसी से बात करने या संपर्क में आने से यह जानलेवा बीमारी न लग जाए। नवजात बच्ची का होम्योपैथिक ट्रीटमेंट अफरातफरी और भय के इसी माहौल में नवजात बच्ची को उसी रात अचानक बुखार आ गया। डॉक्टरों ने कहा कि उसे बच्चों के वार्ड में भर्ती करना पड़ेगा, लेकिन वहां कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा। इसके बाद मैंने जबलपुर के पीडियाट्रीशन डॉ. आशीष तिवारी और इंदौर के वरिष्ठ पीडियाट्रीशन डॉ. पराग गांधी से कंसल्ट कर बच्ची को भर्ती करने के बजाय उसे होम्योपैथिक ट्रीटमेंट के रूप में आर्सेनिक एल्बम 30 के नियत डोज देने का निर्णय लिया गया।
जिसका फायदा यह हुआ कि बच्ची जल्द ही ठीक हो गई और फिर साल भर तक उसे बुखार ही नहीं आया। हेल्पलाइन पर मदद, हजारों मरीजों की 10 अप्रैल 2020 को प्रशासन की ओर से मुझे सीएम हेल्पलाइन पर जरूरतमंद मरीजों को निःशुल्क सलाह देने का आग्रह किया गया। इस तरह करीब 2 सप्ताह तक पूरी तरह कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए, घर पर रहने के बाद, मैं मरीजों औल जरूरतमंदों की सेवा के लिए फिर से सक्रिय हो गया। यूं तो यह हेल्पलाइन केवल मध्य प्रदेश के लोगों के लिए थी लेकिन मुझे प्रदेश से जुड़े कई दूसरे प्रदेशों के सीमावर्ती हिस्सों के मरीजों की भी बड़ी संख्या में फोन कॉल आए।
इस तरह मैंने प्रदेश के हजारों मरीजों के साथ-साथ उन लोगों को भी सही ट्रीटमेंट की सलाह देकर उनके निरोगी होने में अहम भूमिका निभाई। यह कार्य मेरे लिए बहुत संतुष्टि भरा रहा क्योंकि एक डॉक्टर के रूप में कोरोना काल के शुरुआती दिनों में मैं सोच रहा था कि जिस समय मरीजों को मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है उस समय गाइडलाइन का पालन करते हुए बाध्यतः मुझे घर पर ही रहना पड़ रहा है।
*एडवांस योग एंड नेचरोपैथी hospital Pipliyahana बना ग्रीन श्रेणी हॉस्पिटल*
14 अप्रैल 2020 को कलेक्टर के आदेश पर पिपलियाहाना स्थित मेरे एडवांस योग एंड नेचरोपैथी हॉस्पिटल को ग्रीन श्रेणी का अस्पताल बनाया गया। जिसके बाद मैं मरीजों का रूबरू परीक्षण कर उनका इलाज करने लगा। हालांकि मैंने और मेरी पूरी टीम में उस समय भी कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन किया और इससे बचाव के लिए तथा अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए नियमित रूप से दवाइयाँ भी लेते रहे। जिसके चलते हैं हम में से कोई भी अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित नहीं हुआ।
*सीएम ने मंजूर की मेरे द्वारा प्रस्तावित आयुष मंत्रालय की दवा*
मरीजों के साथ-साथ अपने परिवार और सर्कल के सैकड़ों लोगों पर आर्सेनिक एल्बम के जादुई असर को देखने के बाद मुझे लगा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस दवा का जन-जन तक पहुंचाया जाना जरूरी है। इसलिए मैंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस दवा के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उनसे इसे हर खासोआम तक तक सहजता से मुहैया कराने की अपील की। जिसे स्वीकारते हुए उन्होंने आर्सेनिक एल्बम को पूरे प्रदेश में वितरित किए जाने के लिए आदेशित किया। हमारे केंद्र से भी हजारों लोगों को इस दवा का निःशुल्क वितरण किया गया।
पहली लहर के दौरान भी मैंने सांसद शंकर लालवानी, तत्कालीन प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, तत्कालीन कमिश्नर आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर मनीष सिंह और तत्कालीन मेडिकल कॉलेज डीन ज्योति बिंदल को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि कोरोना के ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद इस बीमारी से निजात नहीं मिल रही है उन्हें एलोपैथिक दवाओं के साथ आर्सेनिक एल्बम भी दिया जाए, क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और ये इम्यूनिटी मजबूत करने में अहम रोल अदा करती है। मेरे प्रस्ताव पर आकाश त्रिपाठी ने तत्काल स्वीकृति प्रदान कर ऐसे मरीजों में आर्सेनिक एल्बम वितरित करने के लिए अधिकारियों को अधिकृत भी कर दिया।
सेंट्रल जेल कैदियों में कोरोना बढ़ने से रोका सेंट्रल जेल के अधीक्षक राकेश कुमार मांगरे के विशेष आग्रह पर हमने “एडवांस होम्यो हेल्थ सेंटर” के बैनर तले सेंट्रल जेल के कैदियों में भी आर्सेनिक एल्बम दवा का वितरण किया। श्री मांगरे के मुताबिक इस दवा के वितरण से पहले सेंट्रल जेल के 24 कैदियों के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट थी। लेकिन हम लोगों द्वारा दवा वितरण के बाद बाकी करीब 2500 कैदियों में से कोई भी इस संक्रमण की चपेट में नहीं आया। जबकि जेलों में सामान्यतः कैदी एक साथ, पास पास ही रहते हैं। इस नेक काम में डॉ. वैभव चतुर्वेदी का सहयोग विशेष रूप से सराहनीय और उल्लेखनीय रहा।
उनके अलावा हमारी टीम के सदस्य डॉ. राकेश यादव, डॉ. दीपक उपाध्याय, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. जितेंद्र कुमार पुरी और डॉ. विनय कुमार पांडे ने भी पूरे मनोयोग से कैदियों को कोरोना से बचाने के जतन किए और इन प्रयासों में वो पूरी तरह सफल भी रहे। हमारी इन सफल कोशिशों के करीब 6 महीने के बाद जेल प्रबंधन द्वारा हमें इस अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया गया। जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया कि, हमारी कोशिशों के बाद जेल के बाकी कैदी कोरोना ग्रस्त होने से बच गए। हमने अपने क्लीनिक पर आने वाले प्रत्येक पेशेंट और उसके अटेंडर को भी यह दवा निःशुल्क वितरित की। ताकि, उनकी इम्यूनिटी पावर बढ़े और वो कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने से बचे रह सकें।
*एलोपैथिक ट्रीटमेंट न मिलने पर पहली एवं दूसरी लहर के समय होम्योपैथी की ओर आए मरीज*
कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के आधार पर दूसरी लहर का कहर पहली वाली से भी कहीं ज्यादा रहा। दूसरी लहर के दौरान कई मरीजों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन वेंटिलेटर, दवाइयां और इंजेक्शन आदि सही समय पर न मिल पाने पर वो होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक इलाज की तरफ आए। हमारे लिए संतोष की बात यह रही कि हम, ट्रीटमेंट के लिए हमारे पास आए, अधिकांश मरीजों की जान बचाने में सफल रहे। हम, ऐसे भी अधिकांश मरीजों की जान बचाने में सफल रहे जो अपनी बड़ी उम्र या किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त होने के कारण अस्पताल जाकर कोरोना का इलाज कराने में अक्षम थे।
ऐसे रोगियों को हमने घर पर ही होम आइसोलेशन में रखकर इस जानलेवा बीमारी से बचाया। हालांकि इस दौरान हमने उन्हें कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक होम्योपैथिक दवाओं के साथ-साथ एलोपैथिक दवाइयां लेने की भी सलाह दी, जिससे वो जल्द ही इस बीमारी से निजात पाने में सफल रहे। स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हुए आमजन कोरोना काल के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर अब लोगों की सोच में बदल रही है। पहले मेरे पास बहुत से मामले स्वयं को सुंदर दिखाने और व्यक्तित्व निखारने से जुड़े हुए भी आते थे लेकिन अब ज्यादातर मामले सेहत को दुरुस्त रखने, इम्युनिटी पावर बढ़ाने और गंभीर बीमारियों का संपूर्ण इलाज कराने के आते हैं।
महिलाओं, बुजुर्गों के साथ-साथ अब बच्चे, किशोर और युवा भी पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो गए हैं। फिलहाल, हम जिस दौर से गुजर रहे हैं उसे लेकर मेरी सलाह है कि सभी लोग अपने-अपने स्तर पर पूरी सावधानी बरतें। खासतौर पर घर और कार्यालय के वरिष्ठजन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका नये सिरे से निर्धारित करें क्योंकि उन्हें अपने साथ-साथ घर के सदस्यों और अधीनस्थों की सेहत का भी ख्याल रखना है। इसलिए उन पर बड़ी जवाबदारी है। अगर घर और कार्यालय के सीनियर्स, कोरोना गाइडलाइन का पूरी प्रतिबद्धता से पालन करेंगे तो बाकी लोग भी किसी तरह की कोताही नहीं करेंगे। इस तरह हम कोविड-19 की इस महामारी को अपने शहर, प्रदेश, देश और समूचे विश्व से जड़ से उखाड़ फेंकने में सफल रहेंगे।