बारिश शुरू होती ही 15 अक्टूबर तक रेत खनन पर लगी रोक, रेत की कीमतों में आएगा उछाल, आम जनता पर पड़ेगा असर

छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक नदियों और नालों से रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे निर्माण कार्यों पर असर पड़ सकता है।

Srashti Bisen
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बारिश शुरू होती ही 15 अक्टूबर तक रेत खनन पर लगी रोक, रेत की कीमतों में आएगा उछाल, आम जनता पर पड़ेगा असर

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 10 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक सभी नदियों और नालों से रेत के खनन और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के तहत लिया गया है।

मानसून के दौरान नदियों की पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने के लिए हर साल इस तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार इसकी निगरानी को और सख्त किया गया है।

रेत खदानें रहेंगी बंद

इस प्रतिबंध के चलते राज्य की सभी रेत खदानें पूरी तरह बंद रहेंगी, जिससे निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली रेत की आपूर्ति प्रभावित होगी। इसका सीधा असर सड़क निर्माण, पुल, भवन और अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं पर पड़ेगा। व्यक्तिगत मकान निर्माण जैसे छोटे कार्यों में भी रुकावट आ सकती है। चूंकि कुछ कारोबारियों ने पहले से रेत का भंडारण कर रखा है, वे अब इस स्थिति में ऊंची कीमत वसूल सकते हैं।

आम जनता पर पड़ेगा असर

रेत खदानों के बंद होने के कारण बाजार में रेत की उपलब्धता घट जाएगी। नतीजतन, कीमतों में तेज़ उछाल आ सकता है। इससे न केवल निर्माण कार्य महंगे होंगे बल्कि आम उपभोक्ताओं की जेब पर भी सीधा असर पड़ेगा। जिन लोगों ने घर बनाने या मरम्मत का कार्य मानसून के दौरान तय किया है, उन्हें या तो महंगी रेत खरीदनी पड़ेगी या अपने कार्य को स्थगित करना होगा।

अवैध खनन और कालाबाजारी बनी चुनौती

हालांकि रेत खनन पर पूरी तरह रोक है, लेकिन कई क्षेत्रों से अवैध खनन और परिवहन की खबरें सामने आ रही हैं। कई माफिया समूह अब भी नदियों से चोरी-छिपे रेत निकाल रहे हैं और उसे ब्लैक मार्केट में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। खनिज विभाग ने कुछ वाहनों को जब्त करने और जुर्माना वसूलने की पुष्टि की है, लेकिन दूरदराज के इलाकों में निगरानी की कमी के चलते यह एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

अवैध भंडारण पर सख्ती 

कुछ लाइसेंस प्राप्त कारोबारी पहले से रेत का वैध भंडारण कर चुके हैं, जिसे अब वे जरूरतमंद उपभोक्ताओं को बेच रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही कई स्थानों पर अवैध भंडारण की शिकायतें भी सामने आई हैं। यह न केवल पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे रेत की कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिल रहा है। खनिज विभाग ने ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसे ज़मीन पर प्रभावी ढंग से लागू करना अभी भी एक कठिन कार्य है।

निर्माण उद्योग और मजदूरों की आजीविका पर असर

रेत की किल्लत और ऊंची कीमतों का सबसे ज्यादा असर निर्माण क्षेत्र और मजदूरों पर पड़ सकता है। प्रोजेक्ट्स में देरी से न केवल लागत बढ़ेगी, बल्कि दैनिक मजदूरी पर निर्भर हजारों श्रमिकों की आजीविका भी प्रभावित होगी। साथ ही, रियल एस्टेट क्षेत्र में निर्माण लागत बढ़ने से मकानों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे आम खरीदारों पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा।