मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क हुई केंद्र सरकार, वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से मंगवाएं टेंडर

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देश में मंकीपॉक्स का खतरा लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है. सरकार ने इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. मंकीपॉक्स के लिए सरकार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट यानी टेंडर लेकर आई है. यह टेंडर मंकीपॉक्स की वैक्सीन बनाने और उसका पता लगाने वाली किट के लिए निकाला गया है.

केंद्र सरकार की ओर से यह EoI पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में लाया गया है. इसमें मंकीपॉक्स वैक्सीन और इसकी जांच के बनाए जाने के विषय में निर्देश दिए गए हैं. जो दवा कंपनी ये बनाने की इच्छुक है वह 10 अगस्त तक EoI जमा करवा सकते हैं. बता दें कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन वैसे पहले से भी मौजूद है.

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मंकीपॉक्स के भारत में अब तक 5 मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा कुछ संदिग्ध केस सामने आए हैं. जिनका टेस्ट कर लिया गया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामलों की बात करें तो यह 78 देशों में पैर पसार चुका है. दुनिया भर में लगभग 18 हजार मन की प्रकृति के सामने आ चुके हैं. 70 फ़ीसदी के यूरोपियन क्षेत्रों के हैं और 25 फीसदी केस अमेरिकी रीजन के हैं. दुनिया भर में मंकीपॉक्स की वजह से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 10 फ़ीसदी केसों में ही हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी है.

मंकीपॉक्स से ऐसे करें बचाव

एक्सपर्ट्स के मुताबिक शारीरिक संबंध बनाते वक्त सावधानी बरतना जरूरी है. ऐसे मर्दों जो मर्दों के साथ सेक्स करते हैं. उन्हें मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा होता है.

इसके साथ किसी को गले लगाने या संक्रमित आप तो लिया और बेडशीट इस्तेमाल करने से भी मंकीपॉक्स हो सकता है.

क्या है डब्ल्यूएचओ का विचार

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का मानना है कि मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीनेशन होना चाहिए. जिनको इसके होने का खतरा है उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए. इसमें हेल्थ वर्कर्स लैब वर्कर्स और ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर वाले लोग शामिल हैं. WHO यह बोल चुका है कि सभी लोगों को मंकीपॉक्स का टीका लगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

मंकीपॉक्स वैक्सीन

बता दें कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन पहले से मौजूद है. स्मॉल पॉक्स की 1 वैक्सीन MVA-BN का इस्तेमाल मंकीपॉक्स से बचने के लिए किया जा रहा है. कनाडा अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में इसके इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है. इसके अलावा LC16 और ACAM2000 जैसे रखती हैं जिन्हें मंकीपॉक्स के खिलाफ उपयोग किया जा रहा है. हालांकि, इसका असर कैसा है इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है.

केंद्र सरकार की ओर से टेंडर निकालने का फैसला सही साबित हो सकता है क्योंकि पहले से जो वैक्सीन उपलब्ध है उसको लेकर कई चुनौतियां हैं. दुनिया भर में MVA-BN वैक्सीन की सिर्फ 1 करोड़ 60 लाख खुराक ही मौजूद है. इनमें से अधिकतर को बल्क में रखा गया है. जिन्हें छोटी शीशों में भरा जाना है, जिसमें काफी वक्त लग सकता है.