Indore News : 26 अक्टूबर 1977 को गौरव दिवस मनाएं, अमृत है मां नर्मदा का जल – विजय अड़ीचवाल

Share on:

Indore News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने प्रदेश, शहर, गॉंव का वर्ष में 1 दिन गौरव दिवस या स्थापना दिवस मनाने की एक अच्छी पहल शुरू की। इसके साथ ही आक्रान्ताओं द्वारा अनेक गॉंव, शहरों के बदले गए नाम को पुनः अपने असली नाम स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके लिए मुख्यमन्त्री धन्यवाद के पात्र हैं। इन्दौर का नामकरण भगवान इन्द्रेश्वर महादेव के नाम पर हुआ था। रहा सवाल इन्दौर शहर के गौरव दिवस का तो इन्दौर का सबसे बड़ा गौरव शहर की जीवनदायिनी मां नर्मदा है।

इन्दौर से 70 किलोमीटर दूर से पॉंच पहाड़ी चढ़कर शहरवासियों की प्यास बुझा रही है। 26 अक्टूबर 1977 से मॉं नर्मदा का पानी इन्दौरवासियों को प्राप्त होने लगा। इन्दौरवासियों को मॉं नर्मदा का जल 26 अक्टूबर 1977 को अमृत के रूप में मिला, क्योंकि सन 1966 की गर्मी में इन्दौरवासियों ने भीषण त्रासदी देखी थी। 14 जून 1970 को इन्दौर के युवा एवं छात्रों ने राजबाड़ा के गणेश हाल में इन्दौर की प्यास बुझाने के लिए मॉं नर्मदा के जल को इन्दौर लाने के सम्बन्ध में बैठक की। बैठक में शान्तिपूर्ण आन्दोलन की रूपरेखा तय की गई।

Read More : यूक्रेन में रूस के हवाई हमले का अलर्ट, कीव सहित कई शहरों में वॉर सायरन बजे

इन्दौर का साथ महू के रहवासियों ने भी दिया। नर्मदा लाओ आन्दोलन बिना किसी नेतृत्व के 5 जुलाई 1970 को शुरू हो गया। तत्कालीन मुख्यमन्त्री पं. श्यामाचरण शुक्ल द्वारा उक्त मांग नकार दी गई, किन्तु इन्दौर के युवा नेता व छात्रों ने आन्दोलन तेज कर दिया। अंततः 49 दिन बाद 23 अगस्त 1970 की शाम को इन्दौर में नर्मदा लाने की ऐतिहासिक घोषणा हुई। इसके बाद सर्वे, योजना बनने, पाइप लाइन बिछाने आदि में समय लगा। अंततः 2 अक्टूबर 1977 को मॉं नर्मदा का जल नर्मदा कंट्रोल रूम तक आ पहुंचा।

Read More : शातिर बदमाश ने ATM मशीन से पैसे निकालने की कोशिश, CCTV में कैद हुई वारदात

तमाम परीक्षण के बाद अन्ततः 26 अक्टूबर 1977 को मॉं नर्मदा का पानी इन्दौरवासियों को अमृत के रूप में मिला। उस समय 30 करोड़ की लागत से मॉं नर्मदा इन्दौर के हर घर तक स्वयं पहुंची। इसके बाद दो, तीन, चार चरण की योजना के माध्यम से नर्मदा का जल इन्दौरवासियों को सुलभता से उपलब्ध हो रहा है। नर्मदा जल इन्दौर के लिए अमृत के रूप में इसलिए है। यदि 15 – 20 दिन नर्मदा का जल इन्दौर को न मिले तो इन्दौरवासियों की क्या हालत हो सकती है? इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। इसलिए इन्दौर की जीवनदायिनी मॉं नर्मदा ही है।

अतः 26 अक्टूबर 1977 को आधार बनाकर हर वर्ष 26 अक्टूबर को मॉं नर्मदा की पूजा, आरती और आभार व्यक्त करते हुए हमें इन्दौर का गौरव दिवस मनाना चाहिए, ताकि युवा एवं भावी पीढ़ी को भी नर्मदा जल के महत्त्व को भलीभांति समझे। नर्मदा जल आने के बाद इन्दौर ने हर क्षेत्र में खूब उन्नति की है। इस बात को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, अन्यथा हम कृतघ्न माने जाएंगे।