चाय बेच कर बनाई दुनिया भर में पहचान अब चायपत्ती के स्टार्टअप माटी को सफल बनाने का लक्ष्य

RishabhNamdev
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इंदौर के युवाओं ने माँ के प्यार और देश के स्वाद को मिलाकर बनाया नया स्टार्टअप – माटी (Maa Tea)

इंदौर , 06 नवंबर 2023: भारत में चाय हर दूसरे शख्स की पहली पसंद होती है। शायद इसी वजह से भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में चाय का बिजनेस बहुत ही ज्यादा चलन में है। देखा जाए तो देश भर में चाय की वजह से डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रोजगार के कई अवसर प्रदान करता है। ऐसे ही इंदौर के 3 युवाओं ने मिल कर अपना नया स्टार्टअप शुरू किया। माटी जो कि चायपत्ती उत्पादन के साथ-साथ हर घर में माँ का प्यार और देश का स्वाद माटी (Maa Tea) पहुँचना चाहते है। उनका मानना है हमारे घर-परिवार में आज भी ऐसे कुछ लोग है जो किसी कारण से कैफ़े या बाहर बैठ कर चाय का स्वाद नहीं ले पाते अब वे लोग माटी के द्वारा अपने घरों में पूरे परिवार के साथ जब चाहे तब माटी की चाय का आनंद उठा पाएंगे।

चाय बेच कर बनाई दुनिया भर में पहचान अब चायपत्ती के स्टार्टअप माटी को सफल बनाने का लक्ष्य चाय बेच कर बनाई दुनिया भर में पहचान अब चायपत्ती के स्टार्टअप माटी को सफल बनाने का लक्ष्य

अनुभव दुबे, आनंद नायक और राहुल पाटीदार ने मिल कर 2016 में एक कैफ़े शुरू किया जिसका नाम चाय सुट्टा बार रखा नाम युवाओं को आकर्षित करने के लिए रखा गया लेकिन यह न कोई बार है और ना ही सुट्टा मारने की परमिशन किफायती होने के साथ साथ चाय सुट्टाबार टेस्ट में भी दूसरों से बेहतर होने का दावा करता है इसलिए यह ब्रांड अब युवाओं के साथ-साथ हर वर्ग के लोगों के लिए पहली पसंद बन चुका है।

अनुभव दुबे , आनंद नायक ( को-फाउंडर्स) और राहुल पाटीदार (डायरेक्टर) ने बताया कि चाय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पिए जाने वाली ड्रिंक्स में से एक है। हमारा मानना है कि एक भारतीय परिवार में चाय का एक विशिष्ट स्थान होता है। जिसके बाद तीनों ने 2016 में इंदौर में 30 लाख रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ एक चाय कैफे शुरू करने का फैसला किया। चाय सुट्टा बार में चाय 10 रुपये से शुरू होती है, जो इसे काफी किफायती बनाती है। ब्रांड के लगभग 150 शहरों में 500 से अधिक आउटलेट्स हैं ।

उन्होंने आगे बताया कि चाय सुट्टाबार की सफलता के बाद हम पिछले 2 सालों से माटी को लांच करने का प्लान कर रहे थे लेकिन हम चाय की क्वालिटी और गुणवत्ता में हम किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते थे इसलिए 2 साल इस पर रिसर्च करने के बाद इसे आज इंदौर में लांच किया गया जो कि धीरे- धीरे भारत के साथ -साथ पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाएगा।