ओडिशा का ब्रिजमैन: गंगाधर राउत का जज्बा देख गांव वालों ने किया सलाम, अपनी ज़िंदगीभर की कमाई से खड़ा किया पुल

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आज हम आपको ओडिशा के एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जिसने अपनी पेंशन के पैसे से गांव में पुल बनवाया। नदी पर पुल न होने के कारण लोग लंबे समय से समस्याओं का सामना कर रहे थे। चलिए इस मामले को विस्तार से समझते हैं। गांव की समस्या का समाधान खुद करने की ठानते हुए राउत ने 10 लाख रुपये से अधिक राशि जुटाई और नदी पर पुल का निर्माण करवा दिया। उनके इस हौसले को आज गांव से लेकर पूरे ओडिशा में सराहा जा रहा है। 60 वर्षीय राउत का कहना है कि पुल न होने की परेशानी बहुत पुरानी थी।

प्रशासन ने नहीं उठाए कदम

कई वर्षों तक कानपुर गांव के लोगों ने प्रशासन से मदद की मांग की, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। तब राउत ने अपने सपनों की जगह गांव की भलाई के लिए कदम उठाने का निश्चय किया। मानसून के दौरान सालंदी नदी के उफान पर आने से गांव का संपर्क बाकी इलाकों से पूरी तरह कट जाता था, और लोग अपने खेतों में भी नहीं पहुंच पाते थे। हालांकि पुल बनाने के लिए एक सरकारी योजना भी प्रस्तावित हुई थी, लेकिन बजट की कमी के कारण यह योजना दशकों से कागजों में ही पड़ी थी।

रिटायर होने के बाद राउत कार खरीदने का सपना देख रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने इस सपने को छोड़कर गांव में पुल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने खुद भी नदी पार करने में आने वाली कठिनाइयों का अनुभव किया था, जिससे कार खरीदने का विचार त्याग दिया और गांव के लिए पुल बनाने का निश्चय किया। उन्होंने इस काम में अपने भतीजे का सहयोग लिया और पुल के सर्वे का कार्य शुरू कर दिया। 2016 में उन्होंने 10 लाख रुपये की राशि से पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने पहल न की होती, तो शायद कोई भी इस पुल को बनाने की हिम्मत नहीं कर पाता।

नई दिशा देने वाला निर्णय

उनका यह फैसला गांव के लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ। आज उनकी मेहनत और जज्बे के चलते सालंदी नदी पर 270 फीट लंबा पुल खड़ा है, जिसने ग्रामीणों की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। अब मानसून के दौरान भी लोगों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। इस मुहिम की स्थानीय लोगों ने खूब सराहना की है। गंगाधर अब “ब्रिजमैन” के नाम से मशहूर हो चुके हैं। ग्रामीण कहते हैं कि जहां आज लोग सिर्फ पैसे कमाने में लगे हैं, वहीं गंगाधर ने अपने सपनों को पीछे रखकर गांव की भलाई में अपना पैसा लगाया और समाज सेवा की नई मिसाल पेश की।