राहत इंदौरी ने साइन बोर्ड पेंटर के तौर पर किया काम, जानें उनकी खास बातें

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By Ayushi JainPublished On: August 11, 2020

उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज इंदौर के अरविंदो अस्पताल में निधन हो गया है। बीते दिन उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इसकी जानकारी उन्होंने खुद ट्विटर के माध्यम से दी थी। उन्होंने अपने जीवन के आखरी पल अरविंदो हॉस्पिटल में बिताए। आपको बता दे, राहत इंदौरी एक ऐसे शायर जो न केवल भारत में मशहूर थे, बल्कि उनकी शायरी विदेश में भी काफी पसंद की जाती थी। लंबे अरसे से श्रोताओं के दिल पर राज करने वाले राहत साहब की शायरी में हिंदुस्तानी तहज़ीब का नारा बुलंद है। उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी थे।

आपको बता दे, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति शुरुआती दिनों में बहुत खस्ता थी। उन्हें साइन-बोर्ड चित्रकार के तौर पर भी काम करना पड़ा। वह अपनी शायरी से महफ़िल जमाते थे। वो गजब के हाजिर जवाब भी थे। उनकी उम्र 70 साल थी। उन्होंने इंदौर के इस्लामिया करीमिया कॉलेज से 1973 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उन्होंने 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया था। उन्होंने ने सिर्फ यहाँ तक ही पड़े नहीं कि बल्कि उन्होंने 1985 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि हासिल की।

उन्होंने उर्दू साहित्य के टीचर के तौर पर शुरू किया। उसके बाद मुशायरों में व्यस्त होते चले। बता दे, बरसों में पूरे भारत और विदेशों से उन्हें मुशायरों के निमंत्रण मिलते थे। इसी से वो सुपर हिट होते चले गए। राहत जी की दो बड़ी बहनें थीं जिनके नाम तहज़ीब और तक़रीब थे। इसके अलावा उनके दो भाई अकील और आदिल हैं। वहीं परिवार की आर्थिक हालत खराब होने के कारण उन्हें एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू करना पड़ा। हालांकि उनको चित्रकारी में भी काफी ज्यादा रूचि थी। रहत इंदौरी के लिए एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार पड़ता था। वहीं दुकानों के लिए किया गया पेंट कई साइनबोर्ड्स पर इंदौर में आज भी देखा जा सकता है।