राजेश ज्वेल
आखिरकार ये दंगाई पत्थरबाज आते कहां से हैं.. रामनवमी जुलूस पर खरगोन में जिस तरह पत्थरबाजी और हिंसा हुई वह अत्यंत निंदनीय है… छतों पर पहले से जमा पत्थर और पेट्रोल बम बरसाए गए.. पुलिस- प्रशासन की इंटेलिजेंस चूक तो है ही मगर जिन्होंने पत्थर बरसाए उन्हें किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए ..पुलिसिया शिनाख़्त के अलावा इन पत्थरबाजों की पहचान उन्हीं के संप्रदाय के लोग भी करें और इस बात का परिचय दें कि वे इन दंगाइयों के साथ नहीं हैं.. कभी ताजिया पर पत्थर नहीं बरसे तो हिंदू जुलूस पर क्यों और कहां से बरसते है ये पत्थर…
हालांकि एक पक्ष यह भी है कि कई मर्तबा भड़काने वाली कार्यवाही इधर से भी होती है मगर इसका जवाब क्या पत्थर की बजाए फूलों से नहीं दिया जा सकता ..? अगर मुस्लिम बस्ती से जुलूस निकाला भी तो उसका स्वागत फूलों से होना चाहिए ..पत्थरों का क्या काम… भाईचारा एक तरफा नहीं हो सकता..हम ही कब तक गंगा-जमुनी तहज़ीब की पुंगी बजाये.. तुम भी तो तहजीब दिखाओ भाईजान… कभी इंदौर में डॉक्टरों पर पत्थर चलाते हो तो कभी खरगोन में ..तो कभी कांड मुर्तजा में संलिप्त मिलते हो..बहुत हुआ ये सब ..अब पत्थर का जवाब बुलडोजर से मिलेगा ..जिस घर से पत्थर बरसे वो पत्थरों का ढेर हो जाएगा ..इस पत्थरबाजी का शिकार 16 साल का शिवम इंदौर के सीएचएल में वेंटिलेटर पर जीवन-मौत से संघर्ष कर रहा है …प्रभु राम उसे बचाये.. और इन दंगाइयों को ऐसा सबक मिले कि सात पुश्तें याद रखे.