Bhagoria Festival : भगोरिया का मेला ( Bhagoria festival) दुनिया में प्रसिद्ध है। इसमें आदिवासी सभ्यता (Tribal culture) की झलक देखने को मिलती है। इस साल भगोरिया मेला 1 मार्च से 7 मार्च 2023 तक आयोजित किया जाएगा। झाबुआ-अलीराजपुर जिले के कुल 60 स्थानों पर भगोरिया मेले लगाए जाएंगे। लगातार सात दिनों तक जिले के हर जगह पर उत्साह दिखाई पड़ेगा। जिले में 36 स्थानों पर अलग – अलग दिन भगोरिया मेले लगेंगे। अब ग्रामीण क्षेत्रों में बेसब्री से इस पर्व की प्रतीक्षा हो रही है। पलायन स्थलों से अब ग्रामीण धीरे-धीरे लौटने लगे हैं। इस पर्व की विशेषता यह है कि अपनी जमीन से कोसो दूर जा चुके श्रमिक होली व भगोरिया मनाने अपने घर जरूर आते हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही यह सिलसिला तेज हो जाएगा। इसके साथ त्योहारिया हाट बाजार में भी रौनक छाई रहेगी।
सदियों से मनाए जा रहे इस पर्व में आपसी रिश्तों को खुलकर जीने का अवसर मिलता है। मान्यता यह है कि भगोर वापस बसने की खुशी में जो वार्षिक मेला लगा वही भगोरिया हो गया है। होली की मस्ती इसमें दिखाई पड़ती हैं। रियासत काल में भी यह पर्व मनाया जाता था। उल्लास का यह पर्व वर्षों से खुशियां बिखरता रहा है और यह परंपरा कायम है।
भगोरिया मेला क्यों मनाया जाता है?
आदिवासी लोक संस्कृति का प्रतीक भगोरिया मेला प्रतिवर्ष होली के 1 सप्ताह पहले मनाया जाता है। पारंपरिक आदिवासी पर्व भगोरिया में आदिवासी संस्कृति, के लोग ढोल, मांदल के साथ पारंपरिक वेश-भूषा में नृत्य करते है।
- 1 मार्च (बुधवार) : चांदपुर, बरझर, बोरी, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोरायता, कल्याणपुरा, खट्टाली, मदरानी एवं ढेकल, मथवाड
- 2 मार्च (गुरुवार) : फूलमाल, सोंडवा, जोबट, पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई एवं चैनपुरा
- 3 मार्च (शुक्रवार) : भगोर, बेकलड़ा, मांडली एवं कालदेवी, कट्ठीवाड़ा, वालपुर, उदयगढ़,
- 4 मार्च (शनिवार) : उमराली, बामनिया, झकनावदा, मेघनगर, राणापुर, नानपुर एवं बलेड़ी
- 5 मार्च (रविवार) : झाबुआ, छकतला, झीरण, ढोलियावाड़, रायपुरिया, सोरवा, आमखूंट, काकनवानी, कनवाड़ा एवं कुलवट
- 6 मार्च (सोमवार) : आलीराजपुर, भाबरा, पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बडगुड़ा एवं मेड़वा
- 7 मार्च (मंगलवार) : बखतगढ़, आम्बुआ, अंधारवड़, पिटोल, खरड़ू, थांदला, तारखेड़ी एवं बरवेट