धात्री माताओं-बहनों (लेक्टेटिंग मदर) को रेल यात्रा के दौरान अनेक सुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इसमें सबसे प्रमुख है – बच्चे को दुग्धपान के दौरान आने वाली समस्याएं। इस दौरान कई बार असावधानी के चलते मां और बच्चे चोटिल हो चुके हैं।
सांसद कविता पाटीदार ने सदन में चर्चा के दौरान बताया कि रेलवे मंत्री जी द्वारा मदर्स-डे पर, उत्तर रेलवे के कुछ चयनित डिवीजनों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शिशुओं के साथ यात्रा करने वाली माताओं के लिए फोल्डेबल ‘बेबी बर्थ’ की शुरुआत की थी। ये बर्थ माता-पिता को एक अतिरिक्त स्थान प्रदान करती है, ताकि वे अपने छोटे बच्चे को आसानी से लिटा सकें। बच्चों को यात्रा के दौरान गिरने से बचाने के लिए बर्थ में एक स्टॉपर भी लगाया गया है। जब माता-पिता को बेबी बर्थ की आवश्यकता नहीं होगी तो आसानी से इसे फोल्ड किया जा सकता था। इसके बाद वे नार्मल सीट की तरह बन जाती थी।
राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस पायलट प्रोजेक्ट को लगभग सभी रेल गाड़ियों में एक अतिरिक्त बेबी बर्थ का प्रावधान किया जाना चाहिए एवं मातृत्व कक्ष की व्यवस्था भी की जानी चाहिए, ताकि माता-बहनें अपने शिशु को दूध पिलाने में किसी भी प्रकार का कष्ट न हो। सहना पड़े।
उल्लेखनीय है कि देश में प्रतिदिन लाखों लोग रेलवे में सफर करते हैं। इसमें हजारों धात्री माता-बहनें (लेक्टेटिंग मदर) भी शामिल हैं। अक्सर यह देखने में आता है कि सफ़र के दौरान उन्हें अपने बच्चे को दूध पिलाने और उसे सुलाने में उन्हें कई प्रकार की कठिनायों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बच्चों के साथ दुर्घटना भी हो जाती हैं। कविता जी ने रेल मंत्री जी से अनुरोध किया है कि प्रगति की ओर अग्रसर भारतीय रेल माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नित नए नवाचार कर रही है और नए-नए कीर्तिमान भी स्थापित कर रही है, ऐसे में माता बहनों की सुविधा के लिए इस प्रयोग-पहल को प्राथमिकता में शामिल किया जाना चाहिए। महिला हितों की इस मुखर आवाज ने मीडिया से चर्चा में परेशानियों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की भी जानकारी दी।