माँ अहिल्या के पावन शहर इंदौर (Indore) में कल एक बार फिर सैकड़ों सालों पूर्व से चलती आ रही परम्परा का जोरदार निर्वहन किया गया। दरअसल देश के सबसे स्वच्छ शहर में गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी के अवसर पर एक विशाल चल समारोह आयोजित करने की परम्परा पुराने समय से चली आ रही है। इस चल समारोह में जहां शहर के विभिन्न अखाड़े जांबाज करतब दिखते हुए चलते हैं, वहीं इंदौर की बंद हो चुकी मिलों के मजदूरों के द्वारा बनाई गई रंगारंग और रौशनी से नहाई हुई झांकियां इस चल समारोह का विशेष आकर्षण होती हैं।
मालवा मिल की राधा कृष्ण की ब्रज की होली की झांकी प्रथम पुरस्कार विजेता
इस वर्ष भी परम्परा के अनुसार इंदौर में गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के उपलक्ष में आयोजित चल समारोह में परम्परा के अनुसार शहर की सभी मीलों के द्वारा अपनी-अपनी झांकियां प्रस्तुत की गई थी। शासकीय झांकी निर्णायक मंच द्वारा इन सभी झांकियों में श्रेष्ठता के चुनाव का अंतिम परिणाम घोषित किया जिसमें प्रथम पुरस्कार मालवा मिल की ‘ब्रज की होली’ झांकी को प्राप्त हुआ। वहीं द्वितीय पुरस्कार राजकुमार मिल की ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ झांकी को मिला। इसके साथ ही तृतीय पुरस्कार हुकुमचंद मिल की ‘कालिया नाग’ झांकी और स्वदेशी मिल की बृज की लट्ठमार होली को प्राप्त हुआ। इसके साथ ही विशेष पुरस्कार होप टेक्सटाइल मिल की ‘गणेश वंदना’ झांकी और कल्याण मिल की ‘सती अनुसुइया’ झांकी को प्राप्त हुआ।
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कोरोना काल में नहीं निकल पाई थी झांकियां
बीते दो-तीन वर्षों में विश्व भर सहित भारत देश में भी कोरोना महामारी का संकट प्रभावी रहा। इस विचित्र और भयानक कालखंड में दुनियाभर का सामान्य जन जीवन बुरी तरह से प्रभावी रहा। इस दौरान सामाजिकता, धार्मिकता और राजनैतिकता के सभी आयामों में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिला। मध्य प्रदेश का इंदौर शहर भी इस महामारी कालखंड से अछूता नहीं रहा और कोरोना काल में प्रति वर्ष निकलने वाला अनंत चतुर्दशी का चल समारोह इस दौरान स्थगित रहा। इस वर्ष उसी पुराने जोश और खरोश के साथ एक बार फीर शहर में अनंत चतुर्दशी का चल समारोह धूमधाम से निकला।