अमले की मक्कारी के बाद एक्शन मोड में आए महापौर, दरोगा से लेकर झोनल अधिकारी को लगाई फटकार

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नितिनमोहन शर्मा

अमला अलमस्त हुआ। महापौर सख्त हो गए। अमले को लगा अब तो लगा दिया सिक्सर। अगले साल पर गई बात। आराम करो। महापौर ने मैदान पकड़ लिया। अमले को उम्मीद नही थी कि आमतौर पर शांत रहने वाले ‘मित्र’ सख्त तेवरों के साथ भी सामने आ जाएंगे। वो भी अचानक। अलसुबह। बस फिर क्या थे। कई रंगेहाथ पकड़ा गए। मक्कारी करते हैं। ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति करते हुए। बगेर पसीना बहाए वेतन पाते। फिर क्या था, अलमस्त अमला फ़ौरन कार्रवाई की जद में आ गया। फ़टकार मिली सो अलग। इसके साथ ही अफसर से लेकर मातहत तक ये ताकीद भी दे दी कि ‘मित्र’ का ये ‘छापामार’ मूवमेंट अब रुकने वाली नही।

सौम्य मुस्कान के साथ सदा नजर आने वाले शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव एकदम से एक्शन मोड में आ गए है। दो दिन से वे अचानक अलसुबह ही फील्ड में उतर रहे है। बगेर किसी को जानकारी दिए वे वार्डो में जा रहे है और वहां की सफाई व्यवस्था जांच रहे है। कमियों पर तल्ख़ लहजे में अमले को हिदायत दी गई है।

अनियमितता बरतने वालो एवम गैरहाजिर अमले पर कारवाई के साथ साथ जोनल अधिकारी और दरोगा को भी फ़टकार लगाई। दो दिन में महापौर में 4 वार्डो का आकस्मिक निरीक्षण किया जिससे साफ हो गया कि सफाई का छक्का लगने के बाद अमला ‘ अलमस्ती’ में आ गया था। ये मस्ती महापौर की सख्ती से फिलहाल तो काफूर हुई है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव में भी चेतावनी दे दी है कि अब इसी तरह में किसी भी वार्ड में अचानक आऊंगा ओर सब चेक करूँगा।

महापौर अपने दौरे में स्वास्थ्य समिति के मुखिया अश्विनी शुक्ला के अलावा किसी को साथ नही रख रहे। शुक्ला को भी ये पता नही रहता कि महापौर किस वार्ड में जाएंगे। कल उन्होंने वार्ड 6 ओर 43 में अचानक आमद दी तो आज वे झोन 7 के वार्ड 29 में जा धमके। यहां जाते ही उन्होने हाजरी रजिस्टर चेक किया। जो कर्मचारी अनुपस्तिथ पाये गए, उन पर कार्यवाही के हाथों हाथ निर्देश दिए। इस वार्ड में भी एनजीओ का कामकाज ढीला दिखा। इस पर भार्गव ने कड़ी नाराज़गी जताई।

हाजरी में गड़बड़ी पर दरोग़ा को भी सबके बीच फटकार पड़ी। इसके अलावा काम को अनदेखा करने पर एच ओ को भी महापौर के गुस्से का सामना करना पड़ा। महापौर ने उन्हें दो टूक कहा दिया कि आप सही आदमी नही हो, ठीक से काम नही कर रहे है। अगर सिटी एरिए में गंदगी रहेगी तो बाक़ी जगह क्या हाल होंगे? जोनल अधिकारी को भी फटकार पड़ी। उसके बाद मेयर स्वयम डोर टू डोर पहुँचे। उन्होंने चेतन पाटिल को फटकार लगाते हुए 15 दिन मे पूरे शहर का ग्रीन वेस्ट हटाने के निर्देश दिए। भमोरी क्षेत्र में पड़ी अटाला वाहनों को हटाने को भी कहा।

एनजीओ को नहीं मिलेगा पैसा

एक दिन पहले भी महापौर और स्वास्थ् प्रभारी अचानक शहर भ्रमण पर निकले। दोनो वार्ड 6 में पहुंचे। यहां कचरा गाड़ियों के साथ एनजीओ के लोग नजर नही आये। वहीं कर्मचारियों की संख्या भी आधी थी। महापौर ने दरोग़ा को फटकार लगाई। बाद में वे वार्ड 43 पहुंचे। यहां सीएचओ अखिलेश उपाध्याय को कहा कि अगर एनजीओ के लोग नहीं आए तो उनका वेतन काटा जाए। इसके बाद साकेत नगर में रहवासियों से चर्चा की। इस दौरान महापौर ने अच्छा काम करने वाले सफाई व स्वास्थ्य कर्मियों की सराहना भी की।

अमले में मजबूर किया सख्ती पर

आमतौर पर महापौर की कार्यशैली ऐसी नही, जैसी सड़कों पर नजर आ रही है। इस सख्ती के लिए निगम का अमला ही जिम्मेदार है। अफ़सरो का रोल इसमे ज्यादा अहम है। ये बात महापौर तक लगातार जा रही थी कि अफसर उस चुस्ती फुर्ती से मैदान में नही है, जैसी होनी चाहिएं। इस बीच एमजी रोड के घटिया निर्माण और जगह जगह खुले पड़े निर्माण कार्य को लेकर मचे शोर में भी शांत रहने वाले भार्गव को आक्रामक रवैया अपनाने के लिए बाध्य कर दिया। अब तक सह्रदयता दिखा रहे महापौर को निगम का अमला गम्भीरता से नही ले रहा था। भार्गव ने दो दिन के मूवमेंट में बता दिया कि उन्हें प्रशासकीय कामकाज में कमजोर और नोसिखिया न समझा जाये। निगम के अंदरखाने की खबर ये ही है कि अब महापौर के तेवर दिन ब दिन तीखे ही होना है।