उज्जैन: शहर के विभिन्न स्थानों पर चाट पकौड़ी, चाय, पोहे और अन्य तरह के खान-पान की दुकानदारों को धंधा करते वक्त भले ही कोरोना का भय नहीं हो लेकिन उन्हें कोरोना की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए अपना धंधा चौपट होने का डर जरूर सता रहा है। बीते दो लॉकडाउनों को याद करते हुए व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीर उभर जाती है और वे यह कहते है कि उन्हें आशंका है कि कहीं बिगड़ती हुई स्थिति के कारण पुराने दिन देखने को तो नहीं मिलेंगे..!
हालांकि कुछ व्यापारियों का यह भी कहना है कि उनकी दुकानों पर ग्राहकी बहुत कम हो गई है। शहर में कोरोना की तीसरी लहर का असर बढ़ते मरीजों के रूप में देखा जा सकता है।
हालांकि शासन-प्रशासन ने बीते दो लहरों की तरह इस बार बहुत अधिक प्रतिबंध नहीं लगाए है लेकिन लोग है कि स्थिति को देखते हुए डरने लगे है और वे बाजारों में अपना काम कर घर लौट तो रहे है परंतु खाने पीने की दुकानों पर जाने से गुरेज करने लगे है। यही कारण है कि टॉवर चौपाटी, स्वीमिंग पुल के सामने लगी दुकानों के साथ ही छोटा सराफा आदि क्षेत्रों में लगने वाले चाट पकौडे आदि के ठेलों पर खाने पीने के शौकिनों की संख्या दिनों दिन कम हो रही है। एक ठेला व्यापारी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से दुकान पर लोग आना बहुत कम हो गए है, स्थिति यह है कि खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है। उसे डर है कि कहीं पुराने दिन तो वापस नहीं लौट आएंगे। व्यापारियों का कहना है कि बीते दो लॉकडाउन में तो फाके रहने की नौबत आ गई थी, जैसे तैसे कर्ज लेकर घर को चलाया लेकिन अब जो स्थिति कोरोना की देखी जा रही है उससे घर परिवार चलाने की चिंता सता रही है।
मंदिर के आस-पास होटलों पर प्रभाव नहीं
इधर महाकाल मंदिर, हरसिद्धि आदि मंदिरों के आस-पास संचालित होने वाली होटलों पर कोरोना की तीसरी लहर का इतना अधिक प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है। दरअसल महाकाल मंदिर में अभी प्री बुकिंग के माध्यम से दर्शन की सुविधा दी जा रही है और दर्शन करने के लिए बाहर के शहरों से भी लोग उज्जैन आ रहे है। वे होटलों में ठहर रहे है इसलिए फिलहाल इन होटलों पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है। वैसे महाकाल क्षेत्र में संचालित होने वाले भोजनालय पर भी बाहरी श्रद्धालुओं का तांता भोजन करने के लिए देखा जा सकता है।