चंडीगढ़। पंजाब में होने वाला चुनाव में राजनीति के बाजीगर अपना खेल खेलने में जुटे हुए है। हाल ही में संयुक्त समाज मोर्चा ने चुनावी समर में अपने कदम रखने के बाद न केवल अन्य प्रमुख दलों की राह कठिन होती दिखाई दे रही है वहीं मोर्चा ने अपनी इंट्री के बाद से पंजाब सूबे में राजनीति के समीकरण भी बदल दिए है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पंजाब में चुनाव जीतकर सत्ता को हांसिल करने के मंसूबे पाले हुए है वहीं आम आदमी पार्टी भी सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब देख रही है। लेकिन मोर्चा ने चुनावी मैदान में कूद कर समीकरण को बदल दिया है।
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पेचीदा हो सकती है स्थितियां
पंजाब में कांग्रेस, बीजेपी, आम आदमी पार्टी के सथ ही शिरोमणि अकाली दल प्रमुख रूप से मैदान में है परंतु संयुक्त मोर्चा ने जब से इंट्री ली है तभी से इन सभी राजनीतिक दलों की राह आसान दिखाई नहीं देती। राजनीतिक जानकारों की यदि माने तो अधिकांश सीटों पर 5 कोणीय संघर्ष के करण मामला ओर भी पेचीदा बन सकता है।
गठबंधन टूट गया है
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। फिलहाल इस बार का चुनाव अकाली दल ने बसपा के साथ मिलकर लड़ने का फैसला लिया है। बता दें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब राज्य में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल व भाजपा गठबंधन के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन इसी वर्ष के चुनाव में आम आदमी पार्टी भी कूद गई थी और इससे पंजाब में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय हो गई थी, परंतु इस बार के चुनाव में स्थिति फिर बदल गई है।