सनातन धर्म ऐसे और भी कई अनेक लोक के देवताओं की आराधना और पूजा की परंपरा चली आ रही है। इन्ही में से एक है वीर तेजाजी महाराज। आपको बता दे, वीर तेजाजी महाराज की दशमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी पर्व पर मनाई जाती है। जो पूरे दशभर में आज मनाई जा रही है। ये दशमी सबसे ज्यादा राजस्थान और मध्यप्रदेश के गांव गांव मनाई जाती है। इस दशमी पर कई जगहों पर मेले का भी आयोजन किया जाता है लेकिन इस साल कोरोना के चलते इस दिन पर लगने वाला मेला नहीं लग पाएगा। वहीं आ हम आपको तेजाजी दशमी का महत्त्व और उनकी कथा बताने जा रहे है। तो चलिए जानते है-
तेजा दशमी कथा –
आपको बता दे, इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में तेजाजी राजा बाक्साजी के पुत्र थे। वे बचपन से ही साहसी थे और जोखिमभरे काम करने से नहीं डरते थे। दरअसल, एक बार वे अपने साथी के साथ बहन को लेने उसके ससुराल गए। उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। तब बहन के ससुराल जाने पर तेजा को पता चला है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ बहन की ससुराल से सारी गायों को लूटकर ले गया है। फिर तेजाजी अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए गए। रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नाम का सांप घोड़े के सामने आ जाता है और तेजा को डंसने की कोशिश करता है। दरअसल, तेजाजी उस सांप को वचन देते हैं कि अपनी बहन की गायों को छुड़ाने के बाद मैं वापस यहीं आऊंगा, तब मुझे डंस लेना। ये सुनकर सांप रास्ता छोड़ देता है।
उसके बाद तेजाजी डाकू से अपनी बहन की गायों को आजाद करवा लेते हैं। फिर डाकुओं से हुए युद्ध की वजह से वह लहूलुहान हो जाते हैं और ऐसी ही अवस्था में सांप के पास जाते हैं। तब ही तेजा को घायल अवस्था में देखकर नाग कहता है कि तुम्हारा पूरा शरीर खून से अपवित्र हो गया है। मैं डंक कहां मारुं? तब तेजाजी उसे अपनी जीभ पर काटने के लिए कहते हैं। फिर तेजाजी की वचनबद्धता को देखकर नागदेव उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित है, वह तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा, उस पर जहर का असर नहीं होगा। नाग तेजाजी की जीभ पर डंक मार देता है। इसलिए तब से ही हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए तेजाजी के नाम का धागा बांधा होता है, वह मंदिर में पहुंचकर धागा खोलते हैं।
ये थे तेजाजी महाराज –
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, तेजाजी महाराज का जन्म नागौर जिले में खड़नाल गांव में ताहरजी और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ल चतुर्दशी संवत् 1130 यथा 29 जनवरी 1074 को जाट परिवार में हुआ था। तेजाजी के माता-पिता को कोई संतान नहीं थी तब उन्होंने शिव पार्वती की कठोर तपस्या की, जिसके परिणामस्वरूप उनके घर तेजाजी का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है जब वह दुनिया में आए तो एक भविष्यवाणी में कहा गया था कि भगवान ने स्वयं आपके घर अवतार लिया है। ये अधिक वर्ष तक इस रूप में नहीं रहेंगे। बचपन में ही तेजाजी का विवाह पनेर के रायमल जी सोढ़ा के यहां कर दिया गया था।