भोपाल : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने शिवराज सरकार द्वारा भोपाल-इंदौर में लागू किये गये पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम देश के अन्य राज्यों के 70 शहरों में पहले से ही लागू है और इन शहरों में लागू सिस्टम की तुलना की जाये तो मप्र के दो शहरों में वर्तमान में लागू पुलिस कमिश्नरी सिस्टम कमजोर और लचर है।ऐसा लग रहा है कि सरकार ने इसे जानबूझकर कमजोर व लचर रखा है, ताकि भविष्य में यह सिस्टम फेल हो और उसकी आड़ लेकर उसे हटाया जा सके। सलूजा ने प्रदेश में बढ़ते अपराधों के ग्राफ़ को देखते हुए इस सिस्टम को इंदौर-भोपाल के साथ-साथ प्रदेश के जबलपुर, ग्वालियर व अन्य बड़े शहरों में भी लागू किये जाने की मांग की है।
सलूजा ने बताया कि वर्तमान में लागू इस पुलिस कमिश्नरी सिस्टम के अंदर पुलिस को कई महत्वपूर्ण अधिकारों से वंचित रखा गया है। इस सिस्टम के वर्तमान जो पहलू सामने आये हैं, उसके मुताबिक यदि बात की जाये तो इसमें गुंडों, अपराधियों को बांड ओवर करने का अधिकार तो दिया गया है लेकिन 151 की धारा के तहत जेल भेजने के अधिकार सामने नही आये हैं। सिस्टम में जिला बदर का अधिकार तो दिया गया है लेकिन रासूका का अधिकार नहीं दिया गया है।गोला-बारूद पर नियंत्रण की बात तो कही गई है, किंतु शस्त्र लायसेंस का अधिकार नहीं दिया गया है।वहीं अपराधियों की संपत्ति ज़ब्ती व कुर्की का अधिकार नहीं दिया गया है। अशांति फैलने पर कफ्यु का अधिकार नहीं दिया गया है। अतिक्रमण के मामलों में ठोस कार्यवाही का कोई अधिकार नहीं है , जबकि आज के समय में ज्यादातर मामले अतिक्रमण से संबंधित ही सामने आते हैं।
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सलूजा ने कहा कि प्रदेश में दो शहरों में लागू इस कमिश्नरी सिस्टम में कई महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस को नहीं दिये गये, इस सिस्टम में कई खामियां छोड़ी गई है। जिस उद्देश्य और भावना को लेकर यह सिस्टम इन शहरों में लागू किया गया, वह पूरा होते नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि फ़ोर्स को शस्त्र व गोली रहित कर युद्ध लड़ने मैदान में भेज दिया गया है। यदि वास्तव में सरकार की मंशा इस सिस्टम को लागू कर प्रदेश को अपराध मुक्त करने की, अपराधों पर नियंत्रण करने की, नागरिकों को सुरक्षा देने की है तो इस सिस्टम को कड़े प्रावधानो से युक्त बनाकर और सुदृढ़ तरीके से लागू किया जाना चाहिए, ताकि इसे लागू कर यह देखा जा सके कि यह सिस्टम वास्तव में सफल है या अफसल साबित हो रहा है और उसके आधार पर इस सिस्टम को भविष्य में जारी रखने का आगामी निर्णय लिया जा सके।