इंदौर : खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविन्द मालू ने कहा कि “सिंधिया के इंदौर आगमन पर कांग्रेसियों का विरोध प्रदर्शन नाजायज़ और बेतुका तो है ही, चोरी और सीना जोरी का निकृष्टतम उदाहरण है।
कॉंग्रेसियों को उनके पूर्व मंत्री और मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी की स्वीकारोक्ति को जिसमे उन्होंने कहा कि “चुनाव में हमारे दो चेहरे ही थे सिंधिया और कमलनाथ” के स्पष्ट अर्थ को समझना चाहिए जिसमें उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा की गद्दारी तो काँग्रेस नें सिंधिया के साथ की है जो उन्हें चेहरा बनाया, अल्पमति की सरकार बनाई, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री न बना कमलनाथ को बिठवा दिया।
इस लिहाज से तो काँग्रेस वर्कर को कमलनाथ को गद्दारी करने के लिए काले झंडे, विरोध प्रदर्शन कर आंदोलन करना चाहिए।यह प्रदर्शन उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की उक्ति को चरितार्थ करता है।
मालू नें कहा कि पटवारी का आशय स्पष्ट है, असल बात जुबाँ पर आ गई, कि धोखा कमलनाथ ने सिंधिया को ही दिया और काँग्रेस को कमलनाथ और उनकी चौकड़ी सड़क पर ले आई। पटवारी नें अपने नेता दिग्विजयसिंह को भी चेहरा नहीं मानकर सनसनीखेज खुलासा तो कर ही दिया और सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजयसिंह चेहरा (?) नहीं थे ? यह भी स्पष्ट कर दिया। पटवारी दिल सच्चा और चेहरा झूठा।
मालू ने कहा कि यह काँग्रेस का चरित्र रहा कि जब सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनना था, तो धोखाधड़ी कर नेहरू को बना दिया और जब सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव पट्टाभिसीतारमैया से जीते, तो सुभाष बाबू के स्थान पर डॉक्टर राजेंद्रप्रसाद को बना कर “पपेट यूनियन” जिन्दाबाद कर दिया।
मालू ने कहा कि “काँग्रेसी झूठों के बादशाह हैं, लेकिन विद्वानों ने सही कहा कि दिन भर झूठ बोलने वाले के मुँह से 24 घण्टे में एक बार तो सच जुबाँ पर आ ही जाता है। यही जीतू भाई के साथ हुआ। धन्यवाद! प्रिय मित्र जीतू पटवारी जो आपने उनकी सही-सही जगह अपने नेताओं को बता दी।और मध्यप्रदेश काँग्रेस, केवल कमलनाथ प्राइवेट लिमिटेड है। यह भी सच उजागर कर दिया।
ठहरा है कभी झूठ हकीकत के सामने,
रोशन हुआ चिराग तो अँधेरा सिमट गया..