यूँ तो चेतन चौहान से क्रिकेट के कारण मुलाकात पुरानी है, लेकिन ये 90 के दशक की बात है जब चेतन चौहान क्रिकेट छोड़ने के बाद राजनीति में आए थे और अमरोहा उत्तर प्रदेश से पहली बार सांसद बने थे। तब बतौर नेता, खेल पत्रकार होने के नाते मैंने सांध्य दैनिक “‘प्रभात किरण”के लिए के लिए उनका इंटरव्यू लिया था।
उसके बाद मैंने संस्था “आनंद गोष्ठी” में क्रिकेट पर एक सामयिक व्याख्यान के लिए इंदौर बुलाया था, सहज बुलावे पर उनकी हामी से मैं अभिभूत हो गया था।
तब मैं “दैनिकभास्कर” में सेवा दे रहा था, उन पर इंदौर आगमन पर मेरा एक आलेख प्रकाशित हुआ।बरबस याद आ गया। वे बहुत अच्छे इंसान थे, खिलाड़ी भावना उन्होंने राजनीतिक जीवन में भी नहीं छोड़ी। कोरोना से जूझते हुए अभी तक जीवन से संघर्ष कर रहें थे, अन्ततः कोरोना ने उनका विकेट ले लिया।आशा थी कि जल्द स्वस्थ होंगें, लेकिन शायद चित्रगुप्त ने दूसरे पिच पर एक नई पारी खेलने का निर्धारण कर इस पारी के अंत का विधान लिख दिया था।
श्रद्धा की अँजुरी सादर समर्पित।