इन दिनों रिश्वतखोरों को पकड़ने का मौसम चल रहा है लोकायुक्त की टीम लगातार रिश्वतखोरों को धर दबोचाने में लगी हुई है ऐसा लगता है कि रिश्वतखोरों की बाढ़ आ गई है जिस विभाग में देखो उसमें रिश्वतखोर पकड़े जा रहे हैं । ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक तरफ तो शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) चाहती है कि आम जनता और गरीबों को न्याय मिले सरकारी विभाग में उनके काम समय पर निपटें लेकिन दूसरी ओर रिश्वतखोर अधिकारियों ने आतंक मचा दिया है और ऐसा लगता है कि वे शिवराज सरकार के कलंक बन रहे हैं।
अब जरूरत इस बात की है कि शिवराज सरकार भी रिश्वतखोर अधिकारियों पर नकेल डालने के लिए कानून में बदलाव करें अभी तक यह होता है कि जैसे ही लोकायुक्त की टीम रिश्वतखोर अधिकारियों को पकड़ती है तो तुरंत उनकी जमानत वहीं पर हो जाती है लेकिन अब इस कानून में बदलाव करके यह प्रावधान करना चाहिए कि रिश्वतखोर अधिकारियों को 3 महीने तक जमानत नहीं मिले।
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अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से रिश्वतखोर अधिकारियों पर लगाम लगेगी क्योंकि अभी तो वे तुरंत जमानत पाकर छूट जाते हैं और फिर येन केन प्रकारेण यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि लोकायुक्त ने जो संपत्ति पकड़ी है वह उन्होंने रिश्वत के पैसे से नहीं कमाई है रिश्वतखोर अधिकारियों की संपत्ति को राजसात करने का भी कानून में बदलाव करना चाहिए ताकि उनके लिए यह भय बन जाए कि उनकी संपत्ति अगर राजसात हो गई तो उसे छुड़ाना बहुत कठिन होगा।
इन दिनों तो ऐसा लगता है कि हर विभाग में रिश्वतखोर पकड़े जा रहे हैं चाहे वह सहकारिता विभाग हो या फिर जनपद या खाद्य विभाग और अन्य दूसरे तमाम विभाग। निश्चित रूप से सरकार से अच्छा खासा वेतन लेने के बावजूद जनता को लूटने वाले इन अधिकारियों पर लगाम कसना जरूरी हो गया है तभी सरकार के कल्याणकारी कार्यों को क्रियान्वित किया जा सकेगा।