इस साल सौंदर्य निखारने के पर्व रूप चतुर्दशी पर 75 साल बाद एक ऐसा संयोग बना रहा है। ऐसा संयोग इससे पहले 1946 में बना था। इस बार ये स्थित चतुर्दशी तिथि के क्षय होने के चलते बनी है। दरअसल, सूर्योदय से पहले होने वाले अभ्यंग स्नान के लिए चतुर्दशी तिथि 4 नवंबर को दीपावली के दिन रहेगी वहीं प्रदोषकाल में चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को है।
बता दे, इस दिन सौंदर्य की कामना से श्रीहरि विष्णु, शत्रुओं पर विजयी की कामना से मां काली और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यमदेवता का पूजन किया जाएगा। इसको लेकर आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया है कि सौंदर्य की कामना से भगवान कृष्ण के पूजन का पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
बता दे, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 3 नवंबर को सुबह 9.02 बजे होगी। ये अगले दिन 4 नवंबर को सुबह 6.03 बजे तक रहेगी। ऐसे में 3 नवंबर को चतुर्दशी के दिन होने वाले पूजन कर्म किए जा सकेंगे। 3 नवंबर को हस्त नक्षत्र सुबह 9.58 बजे तक रहेगा। वहीँ बाद में चित्रा नक्षत्र लगेगा। फिर शाम को यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान भी होगा। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
पूजन विधि –
ज्योतिर्विद विनोद बर्वे ने बताया है कि रूप चतुर्दशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। इस दिन सौंद्रर्य की प्राप्ति के लिए श्रीहरि विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दौरान शाम के समय यमराज के पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन मां काली की भी पूजा की जाती है। इस दिन काली पूजन से शत्रुूओं का नाश होता है।
साथ ही इस दिन सूर्योदय से पहले आटा, तेल, हल्दी, बेसन का उबटन शरीर पर मलकर स्नान करना चाहिए। एक थाली में चौमुखी दीपक और 16 छोटे दीपक लेकर उनमें बाती डालकर जलाए। वहीं बाद में रोली, खील, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल आदि से आराध्य का पूजन करे।पूजन के बाद सभी दीपकों घर के अलग-अलग स्थानों पर रख दे।
स्नान का मुहूर्त –
– सुबह 5.47 से सुबह 6.02 बजे तक।
दीपदान –
– शाम 05.41 से 07.49 बजे तक।
चौघडियानुसार मुहूर्त –
लाभ : सुबह 06.33 मि. से 07.57 बजे तक।
अमृत: सुबह 07.58 से 09.20 बजे तक।
शुभ : दोपहर 12.07 से 01.31 बजे तक।
चर : दोपहर 02.54 से शाम 04.18 बजे तक।
लाभ :शाम 04.19 से शाम 05.41 बजे तक।