आज शनिवार, कार्तिक कृष्ण तृतीया तिथि है। आज कृतिका नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-कल रविवार को कर्वा चतुर्थी व्रत है।
विना दुर्भैश्च यत् स्नानं यच्च दानं विनोदकम्।
असंख्यातं च यज्जप्तं तत् सर्वं निष्फलं भवेत्।।
-अर्थात् – स्नान में कुशा, दान में संकल्प का जल और जप में संख्या ना हो तो यह सब फलदायक नहीं होते।
नारद पुराण के अनुसार करवा चतुर्थी व्रत में केवल स्त्रियों का ही अधिकार है। इसलिए उसका विधान बताया है- स्त्री स्नान करके वस्त्र आभूषणों से विभूषित हो गणेश जी की पूजा करें। उनके आगे पकवान से भरे हुए 10 करवे रखें और भक्ति से पवित्रचित्त होकर गणेश जी को समर्पित करें और कहे कि भगवान गणेश मुझ पर प्रसन्न हों। तत्पश्चात सुवासिनी स्त्रियों और ब्राह्मणों को इच्छा अनुसार आदर पूर्वक उन करवों को बांट दें।
इसके बाद रात में चन्द्र उदय होने पर विधि पूर्वक अर्घ्य दें। व्रत की पूर्ति के लिए स्वयं भी मिष्ठान्न भोजन करें। इस व्रत को सोलह या बारह वर्षों तक कर नारी इसका उद्यापन करें। उसके बाद इसे छोड़ दे या स्त्री को चाहिए कि सौभाग्य की इच्छा से जीवन भर इस व्रत को करती रहे; क्योंकि स्त्रियों के लिए इस व्रत के समान सौभाग्य दायक व्रत तीनों लोकों में दूसरा कोई नहीं है।
विजय अड़ीचवाल