भोपाल : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि मप्र में चिकित्सा शिक्षा विभाग में एनपीएस राशि के 200 करोड़ रूपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। जिसे लेकर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है। वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा अनिवार्य योजना के रूप में एनपीएस स्कीम लागू की गई, जिसमें मूल वेतन का 10 फीसदी कमर्चारी के वेतन से और उतनी ही राशि सरकार को कर्मचारी के एनपीएस अकाउंट में जमा करानी होती है। जो सेवानिवृत्ति के बाद चक्रवृद्धि ब्याज के साथ कर्मचारी को पंेशन के रूप में दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।
श्री सलूजा ने कहा कि कोरोना जैसी विकट परिस्थितियों में जिन डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर पूरी जिम्मेदारी के साथ 16-16 घंटे ड्यूटी कर लोगों की जान बचायी, उनके हक की राशि कौन डकार गया, सरकार और उसके चिकित्सा शिक्षा विभाग पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है? नेशनल पेंशन स्कीम के तहत डॉक्टर का पैसा पेंशन अकाउंट में जमा होना था, लेकिन विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों ने इस स्कीम में खाता हीं नहीं खोला और सारी राशि कहां जमा कर दी यह जानकारी भी नहीं दी। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा मंत्री यह बेतुका बयान देकर अपनी इतिश्री कर लेते हैं कि मामले की जांच की जायेगी, बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्री सलूजा ने कहा कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल टीचर्स की पेंशन के नाम पर हर साल 54 करोड़ रूपये की गड़बड़ी हो रही है। प्रदेश में करीब तीन हजार मेडिकल टीचर्स हैं, जिनके वेतन से हर साल 27 करोड़ के अधिक की राशि एनपीएस के नाम पर काटी जा रही है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है। कई डॉक्टरों की कोरोना के दौरान मौत भी हुई, लेकिन उन्हें एनपीएस पेंशन का लाभ नहीं मिला।
यह चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही हो उजागर करता है। श्री सलूजा ने सरकार से मांग की है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग में हुई 200 करोड़ की एनपीएस पेंशन योजना में हुई गड़बड़ी के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री तत्काल अपने पद से इस्तीफा दें और इस मामले की निष्पक्षता से उच्च स्तरीय जांच करायी जाकर दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाये।