मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शादी के नाम पर एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यहां एक संगठित गिरोह फर्जी मैट्रिमोनियल वेबसाइट चलाकर कुंवारे युवकों को अपना शिकार बना रहा था। क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई करते हुए दो खुफिया कॉल सेंटरों पर छापा मारा और वहां काम करने वाली 20 युवतियों को हिरासत में लिया है। जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने अब तक करीब 1500 युवकों को ‘हसीन ख्वाब’ दिखाकर लगभग 1.50 करोड़ रुपये की चपत लगाई है।
पुलिस के अनुसार, यह पूरा नेटवर्क एक मास्टरमाइंड द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिसने इन युवतियों को विशेष रूप से दूल्हों को फंसाने के लिए हायर किया था। ठगी का यह खेल इतना शातिराना था कि पीड़ित को अंत तक एहसास नहीं होता था कि वह किसी असली दुल्हन से नहीं, बल्कि एक ठग गिरोह से बात कर रहा है।
ऐसे बिछाते थे ठगी का जाल
पुलिस जांच में ठगी के इस मॉडस ऑपरेंडी का पूरा कच्चा चिट्ठा खुल गया है। आरोपी सबसे पहले अपनी फर्जी मैट्रिमोनियल वेबसाइटों पर शादी के इच्छुक युवकों का रजिस्ट्रेशन करवाते थे। इसके बाद उन्हें मॉडलिंग करने वाली लड़कियों की बेहद आकर्षक तस्वीरें भेजी जाती थीं और यह भरोसा दिलाया जाता था कि यही उनका ‘परफेक्ट मैच’ है।
एक बार जब युवक झांसे में आ जाते, तो कॉल सेंटर में बैठी युवतियां उन्हीं फोटो वाली लड़कियों के नाम से बातचीत शुरू करती थीं। वे धीरे-धीरे युवकों के साथ इमोशनल कार्ड खेलतीं और भावनात्मक रिश्ता बना लेती थीं। जब भरोसा पूरी तरह कायम हो जाता, तो अलग-अलग बहानों से क्यूआर कोड भेजकर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते थे। जैसे ही मोटी रकम हाथ लगती, मोबाइल नंबर बंद कर संपर्क तोड़ दिया जाता था।
दो अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी
एसएसपी धर्मवीर सिंह को सूचना मिली थी कि थाटीपुर थाना क्षेत्र में शादी के नाम पर ठगी करने वाले कॉल सेंटर सक्रिय हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच, साइबर सेल और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने मयूर नगर स्थित मयूर प्लाजा के पीछे एक मकान में दबिश दी। यहां लैपटॉप, कंप्यूटर और रजिस्टर के जरिए कॉल सेंटर चलता मिला। मौके से संचालिका राखी गौड़ (24 वर्ष) सहित कुल 13 युवतियों को पकड़ा गया।
पहले कॉल सेंटर से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने ज्योतिनगर में भी कार्रवाई की। यहां द्वारिकाधीश मंदिर के सामने एक फ्लैट की दूसरी मंजिल पर दूसरा कॉल सेंटर चल रहा था। इसका संचालन 26 वर्षीय सीता उर्फ शीतल चौहान कर रही थी। यहां से पुलिस ने 7 युवतियों को हिरासत में लिया। पुलिस के मुताबिक, दोनों सेंटरों का मुख्य सरगना तिलेश्वर पटेल है, जो अभी फरार है।
साधारण मोबाइल से करते थे खेल
इस गिरोह की चालाकी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पकड़े जाने के डर से ये स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करते थे। कॉल सेंटर में काम करने वाली युवतियों को केवल की-पैड वाले साधारण मोबाइल दिए जाते थे, जिनमें WhatsApp या सोशल मीडिया ऐप्स नहीं होते थे। ठगी पूरी होने के बाद सिम कार्ड नष्ट कर दिए जाते थे ताकि पुलिस को कोई डिजिटल सुराग न मिल सके।
फिलहाल पुलिस ने बरामद दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू कर दी है। पीड़ितों की सही संख्या और ठगी की कुल रकम का सटीक आकलन किया जा रहा है। पुलिस फरार मास्टरमाइंड तिलेश्वर पटेल और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी हुई है।










