Indore में ठंड ने तोड़ा 35 साल का रिकॉर्ड, न्यूनतम तापमान 4.1 डिग्री पर पहुंचा

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By Abhishek SinghPublished On: December 19, 2025
indore temperature

इंदौर में दिन के समय तापमान सामान्य से लगभग एक डिग्री अधिक रहा, लेकिन रात में कड़ाके की सर्दी ने 35 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। गुरुवार रात शहर का न्यूनतम तापमान 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी से भी कम रहा। यह तापमान चालू वर्ष के दिसंबर महीने का अब तक का सबसे निचला स्तर है।

आम तौर पर यह धारणा है कि अच्छी बारिश के बाद ठंड का असर अधिक रहता है। इस वर्ष जून से अक्टूबर के अंत तक लगातार वर्षा दर्ज की गई, और नवंबर की शुरुआत के साथ ही ठंड ने दस्तक दे दी। पिछले महीने 15 नवंबर को न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो बीते एक दशक में नवंबर का सबसे ठंडा दिन रहा।

दिसंबर माह में अब तक बीते सभी दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान लगातार सामान्य से कम दर्ज किया जा रहा है। जारी शीत लहर को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि कहीं 27 दिसंबर 1936 को दर्ज 1.1 डिग्री सेल्सियस का ऐतिहासिक रिकॉर्ड टूट न जाए। इसी वर्ष 11 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज होने के बाद ही संकेत मिल गए थे कि इस बार की सर्दी कोई नया रिकॉर्ड कायम कर सकती है।

पचमढ़ी से भी ठंडा हुआ इंदौर

पिछली रात इंदौर का तापमान पचमढ़ी से भी कम दर्ज किया गया। प्रदेश में न्यूनतम तापमान वाले शहरों की सूची में इंदौर 4.1 डिग्री सेल्सियस के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इस सूची में शिवपुरी पहले स्थान पर रहा, जहां न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि पचमढ़ी में पारा 5.6 डिग्री सेल्सियस रहा।

रात के समय ठंडी हवाओं की रफ्तार अधिक बनी हुई है। बीती रात हवा की गति लगभग 11 किलोमीटर प्रति घंटे दर्ज की गई, जबकि दृश्यता करीब 1500 मीटर रही। मौसम विभाग के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी का असर नगर के मौसम पर दिखाई दे रहा है, जिसके चलते इंदौर में पचमढ़ी की तुलना में अधिक ठंड महसूस की जा रही है।

ठंड के साथ-साथ शहर की वायु गुणवत्ता में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 18 दिसंबर को नगर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 153 रिकॉर्ड किया गया, जबकि इसी माह 12 दिसंबर को यह स्तर 300 तक पहुंच गया था। शहर में सार्वजनिक परिवहन की तुलना में निजी वाहनों पर अधिक निर्भरता के कारण कुल प्रदूषण में वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत बताई जा रही है।

पर्यावरणविद ओ.पी. जोशी के अनुसार, शहर में पेड़ों की संख्या में कमी भी प्रदूषण बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। बढ़ते प्रदूषण के चलते सर्दी, खांसी और वायरल बुखार के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है।