मध्यप्रदेश को वन, वन्यजीव संरक्षण और आयुर्वेद के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने के उद्देश्य से सरकार निरंतर प्रभावी कदम उठा रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 11वें अंतरराष्ट्रीय वन मेले के उद्घाटन अवसर पर बताया कि वर्ष 2026 में रानी दुर्गावती के नाम पर विकसित किए जा रहे नौरादेही अभयारण्य में चीतों को पुनर्स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा भविष्य में प्रदेश में जंगली गैंडे और जिराफ लाने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है।
भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित 11वां अंतरराष्ट्रीय वन मेला 17 से 23 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। “समृद्ध वन, खुशहाल जन” थीम पर आधारित इस मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्ज्वलन और फीता काटकर किया। इस दौरान उन्होंने भगवान धनवंतरि की विधिवत पूजा-अर्चना की तथा विंध्या हर्बल सहित विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन कर आयुर्वेदिक एवं हर्बल उत्पादों की जानकारी प्राप्त की।
कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। उन्होंने ‘लघु वनोपज हमारी शान’ गीत, विंध्या हर्बल के नए लोगो और वेलनेस किट का भी विमोचन किया।
संरक्षण और जागरूकता का प्रभावशाली मंच
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार वन संपदा और वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ विकास के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में वन और वृक्षों के संरक्षण की समृद्ध परंपरा रही है, जिसे यह वन मेला प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आयुर्वेद भारत की अनमोल धरोहर है और जब एलोपैथिक उपचार से अपेक्षित राहत नहीं मिलती, तब आयुर्वेद ही सहारा बनता है। उन्होंने कोरोनाकाल में आयुर्वेदिक काढ़े को पूरी दुनिया के लिए जीवनदायिनी बताते हुए उसकी भूमिका को सराहा।
ट्राईफेड के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 25% की वृद्धि
डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश में आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। जहां पहले केवल 7 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय थे, वहीं पिछले एक वर्ष में 8 नए आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोले गए हैं।
लघु वनोपज संग्राहकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए तेंदूपत्ता समेत अन्य वनोपजों पर बोनस दिया जा रहा है, साथ ही ट्राईफेड के माध्यम से 32 लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
वन मेले में 350 से अधिक आयुर्वेदिक स्टॉल लगाए गए हैं, जहां 80 आयुर्वेदिक डॉक्टर और 100 से अधिक वैद्य आम नागरिकों को निःशुल्क परामर्श देंगे। इसके अलावा प्रदेश और अन्य राज्यों के स्टॉल, वनोपज उत्पाद, आयुर्वेदिक औषधियां और पारंपरिक व्यंजन मेले को आकर्षक बना रहे हैं।









