जबलपुर में अवैध कॉलोनियों के मकड़जाल पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। एक व्यापक सर्वे के बाद प्रशासन ने 98 कॉलोनियों को अवैध घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद, इन सभी कॉलोनियों में जमीन या मकान की खरीद-बिक्री (रजिस्ट्री) और नामांतरण की प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। यह कदम आम लोगों को भू-माफिया के धोखे से बचाने और अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई लंबे समय से मिल रही शिकायतों और जांच के बाद की गई है। इन कॉलोनियों का निर्माण बिना किसी सरकारी अनुमति और आवश्यक नागरिक सुविधाओं के किया गया था, जिससे यहां रहने वाले लोगों को भविष्य में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता था।
कॉलोनाइजरों पर होगी FIR
प्रशासन ने केवल रजिस्ट्री पर रोक लगाकर ही कार्रवाई समाप्त नहीं की है, बल्कि अब इन अवैध कॉलोनियों को बसाने वाले कॉलोनाइजरों और भू-माफिया पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। अधिकारियों ने बताया कि इन 98 कॉलोनियों के डेवलपर्स की पहचान की जा रही है।
इसके अलावा, यह भी जांच की जाएगी कि इन कॉलोनाइजरों ने शहर में और कहां-कहां जमीनें खरीदकर अवैध रूप से कॉलोनियां विकसित की हैं। पूरी जांच के बाद संबंधित कॉलोनाइजरों और भू-माफिया के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
प्लॉट खरीद चुके लोगों को राहत
प्रशासन की इस कार्रवाई से जहां भू-माफिया में हड़कंप मचा है, वहीं उन लोगों के लिए एक राहत की खबर भी है, जो पहले ही इन कॉलोनियों में अपनी मेहनत की कमाई से प्लॉट या मकान खरीद चुके हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों ने पहले ही संपत्ति खरीद ली है, उन्हें किसी भी तरह से परेशान नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य अवैध कारोबार को रोकना है, न कि उन नागरिकों को दंडित करना जो अनजाने में इसका शिकार हो गए। हालांकि, इन कॉलोनियों के नियमितीकरण और वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर भविष्य में अलग से नीति बनाई जा सकती है।
क्यों और कैसे हुई यह कार्रवाई?
अवैध कॉलोनियों का मुद्दा जबलपुर में काफी समय से चर्चा में था। इन कॉलोनियों में न तो सड़कें ठीक होती हैं, न ही पानी और बिजली की उचित व्यवस्था। इसके बावजूद, कॉलोनाइजर आकर्षक दामों का लालच देकर लोगों को प्लॉट बेच देते थे।
जिला प्रशासन ने एक विशेष टीम बनाकर इन कॉलोनियों का सर्वे कराया था। सर्वे में पाया गया कि 98 कॉलोनियां बिना ले-आउट और संबंधित विभागों की मंजूरी के विकसित की गई थीं। रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर ने तत्काल रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए ताकि और कोई व्यक्ति इस धोखाधड़ी का शिकार न हो।










