एमपी के इस जिले में 6 आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री पर रोक, गुणवत्ता जांच में पाई गई गंभीर खामियां

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By Pinal PatidarPublished On: November 19, 2025

बैतूल जिले में आयुर्वेदिक उपचार से जुड़ी एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। जिले में छह आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री और खरीद पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब आयुर्वेद विभाग द्वारा की गई गुणवत्ता जांच में पाया गया कि ये दवाएं निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करतीं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद जिला आयुष अधिकारी डॉ. योगेश चौकीकर ने सभी दवा विक्रेताओं और संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि इन दवाओं का उपयोग और व्यापार तुरंत बंद किया जाए।

कौन-कौन सी दवाएं हुईं प्रतिबंधित?



गुणवत्ता परीक्षण में ‘नॉट फॉर स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ)’ घोषित की गई दवाओं की सूची में छह प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं शामिल हैं—
• कफ कुमार रस
• लक्ष्मी विलास रस (नारदीय)
• प्रवाल पिष्टी
• मुकता शुक्ति
• निलोह सिद्ध
• कामदुधा रस

इनमें से कुछ दवाएं उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद स्थित एक निर्माण इकाई में बनी थीं, जबकि शेष दवाएं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में स्थित निजी आयुर्वेदिक दवा उत्पादकों द्वारा निर्मित की गई थीं। निम्न गुणवत्ता मिलने के कारण ये दवाएं रोगियों के स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरा बन सकती थीं।

विभाग ने दिए स्पष्ट आदेश, स्टॉक तुरंत हटाने के निर्देश

जिला आयुष अधिकारी ने सभी दवा दुकानों, निजी चिकित्सकों, आयुर्वेदिक औषधालयों और आपूर्ति केंद्रों को निर्देश जारी करते हुए बताया कि इन दवाओं के संदिग्ध बैच नंबर का स्टॉक तुरंत बंद कर कंपनी को लौटाया जाए। आदेश में चेतावनी दी गई है कि अगर किसी मेडिकल स्टोर या प्रदाता के यहां यह दवाएं बिकती हुई मिलीं, तो उनके खिलाफ औषधि अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विक्रेताओं से यह भी कहा गया है कि वे केवल सुरक्षित, मानक गुणवत्ता वाली और अनुमोदित दवाएं ही उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराएँ। किसी भी संदिग्ध दवा या गलत बैच मिलने पर तुरंत विभाग को सूचना देने के लिए भी कहा गया है।

सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन और विभाग हुए सक्रिय

प्रतिबंध के आदेश की प्रतियां आयुष महाप्रबंधक, आयुर्वेद परीक्षण प्रयोगशाला, जिला प्रशासन और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिबंध प्रभावी रूप से लागू हो। यह निर्णय पूरी तरह से उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के संरक्षण के उद्देश्य से लिया गया है। अधिकारीयों का कहना है कि निम्न स्तरीय या खराब दवाओं के सेवन से मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं, इसलिए जिले में इस तरह की किसी भी दवा की उपलब्धता पर अब कड़ी निगरानी रखी जाएगी। जनहित को प्राथमिकता देते हुए विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि गुणवत्ता से समझौता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।