ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को जीवन में होने वाले उतार–चढ़ाव का प्रमुख कारण माना जाता है। खासतौर पर देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। गुरु ग्रह लगभग हर 13 महीने में अपनी राशि बदलते हैं। वे कर्क में उच्च और मकर में नीच माने जाते हैं। धनु और मीन उनके स्वामित्व वाली राशियाँ हैं। दूसरी ओर चंद्रमा अत्यंत तीव्र गति से चलने वाला ग्रह है, जो लगभग ढाई दिन में अपनी राशि बदल देता है। यही कारण है कि चंद्रमा की विभिन्न ग्रहों से युति कई शुभ योगों का निर्माण करती है।
2025–26 में बन रहा गजकेसरी राजयोग, जो पूरे साल बदल सकता है भाग्य
वर्तमान में गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान हैं और 5 दिसंबर 2025 को मिथुन राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ठीक इसके बाद नए साल के दूसरे दिन यानी 2 जनवरी 2026 को चंद्रमा भी मिथुन राशि में गोचर करेंगे। जब एक ही राशि में चंद्रमा और बृहस्पति मिलते हैं, तब गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है—और यह शक्तिशाली योग 4 नवंबर 2026 तक प्रभावी रहेगा। ज्योतिष में इस योग को सौभाग्य, समृद्धि और सफलता देने वाला योग माना गया है।
तुला राशि: किस्मत का मजबूत साथ और करियर में उछाल
तुला राशि वाले जातकों के लिए यह योग बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। ग्रहों की स्थिति बताती है कि इस अवधि में भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और कठिन प्रयासों का परिणाम आश्चर्यजनक रूप से बेहतर हो सकता है। नौकरी और करियर से जुड़े अवसर अचानक सामने आ सकते हैं। समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान भी बढ़ेगा। घरेलू माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा और पारिवारिक जीवन में खुशियों का आगमन हो सकता है। कुल मिलाकर तुला राशि के लिए यह समय सकारात्मक बदलाव लाने वाला होगा।
वृश्चिक राशि: तरक्की, स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक मजबूती का दौर
वृश्चिक राशि वालों के लिए गजकेसरी योग किसी वरदान से कम नहीं रहेगा। कार्यक्षेत्र में उन्नति के अवसर मिलेंगे और व्यापारियों को नए मुनाफे की संभावना दिखेगी। लंबे समय से चल रही किसी बीमारी या परेशानी से राहत मिलने के संकेत भी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। परिवार में कोई शुभ कार्य हो सकता है और संतान से संबंधित कोई बड़ी खुशी मिल सकती है। अविवाहित लोगों के लिए विवाह प्रस्ताव आने की भी प्रबल संभावना है। आर्थिक स्थिति मजबूत होने और आय के नए स्रोत बनने का योग भी बन रहा है।
मिथुन राशि: प्रमोशन, सम्मान और आध्यात्मिक प्रगति
यह योग मिथुन राशि पर सीधे प्रभाव डालने वाला है, इसलिए इसके परिणाम भी बेहद मजबूत दिखाई देंगे। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन और वेतनवृद्धि का लाभ मिल सकता है। लोगों के व्यक्तित्व में निखार आएगा और समाज में मान–सम्मान बढ़ेगा। वित्तीय स्थिति में स्थिरता आएगी और बचत बढ़ने की संभावना प्रबल होगी। साथ ही, आध्यात्मिकता की ओर झुकाव भी बढ़ सकता है तथा धार्मिक यात्राओं के योग प्रबल हैं। मिथुन जातकों पर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रह सकती है।
कब और कैसे बनता है गजकेसरी राजयोग?
ज्योतिष के अनुसार गजकेसरी योग शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस योग का अर्थ ‘गज पर बैठे सिंह’ जैसा शक्तिशाली संयोग होता है। यह योग तब बनता है जब चंद्रमा, गुरु, बुध या शुक्र में से किसी एक ग्रह के साथ केंद्र भाव में स्थित हो। यदि चंद्रमा और गुरु जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ या दशम भाव में एक साथ स्थित हों, तो यह योग पूर्ण फल देता है। इतना ही नहीं, यदि गुरु या चंद्रमा में से कोई भी किसी उच्च राशि में स्थित होकर एक-दूसरे के साथ युति बनाए, तब भी गजकेसरी योग का निर्माण होता है।










