इंदौर में SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू होने से पहले वोटर लिस्ट में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। शहर में 2069 ऐसे नाम मिले हैं, जिनके घरों का पता पूरी तरह गायब है—यानी कागज़ पर मौजूद, लेकिन वास्तविकता में नहीं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सबसे अधिक संदिग्ध पते मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की विधानसभा-1 और विधायक महेंद्र हार्डिया की विधानसभा-5 में सामने आए हैं।
आयोग की गोपनीयता पर उठे सवाल
आरटीआई कार्यकर्ता रवि गुरनानी ने भास्कर से बातचीत में कहा, “जनवरी से दिसंबर 2023 के दौरान मध्यप्रदेश में 20 लाख नए वोटर जुड़ गए, लेकिन आयोग ने इनकी सूची जारी करने से मना कर दिया। अब यही नाम SIR प्रक्रिया के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित होने वाले हैं।”
भारत निर्वाचन आयोग ने SIR से पूर्व जिलों को भेजे गए डेटा में स्पष्ट निर्देश दिया है कि “यह जानकारी किसी के साथ साझा न की जाए और गोपनीय रखी जाए।” अब यही गोपनीयता संदेह का विषय बन गई है। वोटर सूची में ‘शून्य घर’ दर्ज हैं, जबकि वास्तविकता में लोग मौजूद नहीं मिलते।
भाजपा–निर्वाचन आयोग पर मिलीभगत का दावा
कांग्रेस पार्षद रुबीना इक़बाल खान का कहना है कि वे लंबे समय से फर्जी वोटरों की शिकायत उठाती रही हैं और अब मिले ‘शून्य पते’ उसी की पुष्टि करते हैं। उनका आरोप है कि भाजपा और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत से लगातार फर्जी वोट जोड़े गए, जिसके कारण भाजपा न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि कई अन्य राज्यों में भी सरकार बना पाई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को राहुल गांधी के समक्ष रखा जाएगा।
रुबिना ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके वार्ड में किसी भी घर का नंबर ‘शून्य’ नहीं है। उन्होंने कहा कि वे महापौर और निगमायुक्त से पूछेंगी कि अगर ऐसा कोई ‘शून्य मकान’ सूची में है, तो उसका प्रॉपर्टी टैक्स भरता कौन है।









