अब हर स्कूल में अनिवार्य होगा वंदे मातरम, योगी सरकार के आदेश से शुरू हुआ सियासी संग्राम

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By Abhishek SinghPublished On: November 11, 2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के सभी विद्यालयों में वंदे मातरम का गायन अनिवार्य किए जाने की घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। सरकार इस निर्णय को राष्ट्रभक्ति और एकता को सशक्त करने वाला कदम बता रही है, जबकि विपक्ष ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करार दिया है। आदेश जारी होते ही शिक्षा विभाग से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस विषय पर बहस छिड़ गई है और विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रियाएं तेजी से सामने आ रही हैं।

देशभक्ति थोपने से नहीं, दिल से आती है



असद अब्दुल्ला ने कहा कि वंदे मातरम को अनिवार्य करने जैसा कदम जनता का ध्यान वास्तविक और महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने का प्रयास है। उनका कहना था कि देशभक्ति किसी पर थोपी नहीं जा सकती, बल्कि यह स्वाभाविक रूप से व्यक्ति के भीतर से उत्पन्न होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे बुनियादी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बजाय ऐसे निर्णयों से नई विवादित बहसों को जन्म देने के। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाना सराहनीय पहल है, लेकिन इसे बाध्यकारी बनाना उचित नहीं।

वंदे मातरम गाना सम्मान है

एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष असद अब्दुल्ला ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा कि किसी भी नागरिक को वंदे मातरम गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम देश का राष्ट्रीय गीत है और इसका सम्मान करना सभी का दायित्व है, लेकिन इसे गाना या न गाना व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय है। अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, और यदि कोई वंदे मातरम नहीं गाता, तो इससे उसकी देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।