महिला वर्ल्ड कप विजेता टीम की क्रांति गौड़ को मिलेगी 1 करोड़ की सम्मान राशि, सीएम मोहन यादव ने एमपी की बेटी को किया वीडियो कॉल

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By Abhishek SinghPublished On: November 4, 2025

महिला वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की गेंदबाज क्रांति गौड़ ने मध्यप्रदेश को गौरवान्वित किया है। छतरपुर जिले के घुवारा की रहने वाली क्रांति भारतीय टीम का हिस्सा थीं, जिसने दक्षिण अफ्रीका को हराकर विश्व खिताब अपने नाम किया। इस उपलब्धि पर राज्य सरकार ने उन्हें एक करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को वीडियो कॉल के माध्यम से क्रांति से संवाद किया और इस यादगार सफलता पर उन्हें हार्दिक बधाई दी।

क्रांति की उपलब्धि को बताया प्रदेश का गौरव



मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वीडियो कॉल के माध्यम से क्रांति गौड़ से बातचीत करते हुए उनकी उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने कहा, “आपके परिश्रम और अटूट संकल्प ने न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। विश्व विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम में आपकी भूमिका स्मरणीय और प्रेरणादायक रही है। अपनी लगन और मेहनत से यूं ही आगे बढ़ते रहें और देश-प्रदेश का नाम रोशन करते रहें। राज्य सरकार हर कदम पर अपने खिलाड़ियों और युवाओं के साथ खड़ी है।”

सीएम ने एक्स पर साझा किया बधाई संदेश

एक्स पर साझा किए गए अपने वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखा, “विश्व विजेता @BCCIWomen टीम की सदस्य और मध्यप्रदेश का गौरव, क्रांति गौड़ को आज वीडियो कॉल के माध्यम से ऐतिहासिक जीत की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। आपकी मेहनत और समर्पण ने प्रदेश का मान बढ़ाया है। यूं ही अपने प्रदर्शन से देश-प्रदेश का नाम रोशन करती रहें। हमारी सरकार हमेशा अपने खिलाड़ियों और युवाओं के साथ दृढ़ता से खड़ी है।”

संघर्षों से शुरू हुई सफलता की कहानी

छतरपुर जिले के छोटे कस्बे घुवारा की 22 वर्षीय क्रांति गौड़ का बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता मुन्ना सिंह गौड़ पुलिस विभाग में आरक्षक थे, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। बचपन से ही क्रांति को क्रिकेट का गहरा शौक था। मां नीलम सिंह के अनुसार, पति की नौकरी जाने के बाद पूरे परिवार ने मजदूरी कर घर का गुजारा किया। भाई लोकपाल सिंह बताते हैं कि क्रांति उनसे नौ साल छोटी है और बचपन से ही तेज गेंदबाजी करती थी। घर के पास के छोटे मैदान में वह अपने दोस्तों के साथ अभ्यास करती थी। क्रिकेट के प्रति समर्पण इतना था कि आठवीं कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह इस खेल को अपना लिया।