पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी नवंबर का महीना मध्य प्रदेश के लिए केवल ठंड ही नहीं, बल्कि बरसात की सौगात भी लेकर आ रहा है। मौसम विभाग ने राज्य के कई इलाकों में बारिश का अलर्ट जारी किया है। शनिवार को जारी चेतावनी में बताया गया है कि रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर और बड़वानी जिलों में अगले 24 घंटों में चार से साढ़े चार इंच तक वर्षा होने की संभावना है। वहीं, नीमच, मंदसौर, उज्जैन, इंदौर, खरगोन, बुरहानपुर, श्योपुर, मुरैना, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, मंडला और बालाघाट जिलों में हल्की बारिश जारी रह सकती है। राजधानी भोपाल में भी दिनभर आसमान बादलों से ढका रहेगा और शाम के समय फुहारें पड़ने के आसार हैं।
पहले सप्ताह तक वर्षा का असर, दूसरे में बढ़ेगी ठिठुरन
मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि नवंबर के शुरुआती दिनों में बारिश का दौर बना रहेगा। इसके बाद, दूसरे सप्ताह से उत्तर भारत की ठंडी हवाएं धीरे-धीरे सक्रिय होने लगेंगी, जिससे तापमान में गिरावट आएगी और सर्दी का असर महसूस होने लगेगा। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सर्दी का आगमन सामान्य से थोड़ा जल्दी हो सकता है, क्योंकि वातावरण में नमी अभी भी बरकरार है और बादलों की मौजूदगी ठंड के असर को और बढ़ा सकती है।
अक्टूबर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश, गिरा पारा 25 साल के न्यूनतम स्तर पर
इस साल अक्टूबर महीना भी मध्य प्रदेश के लिए सामान्य से बिल्कुल अलग रहा। आमतौर पर यह महीना सूखे आसमान और हल्की ठंड का होता है, लेकिन इस बार यह पूरी तरह बरसाती साबित हुआ। पूरे राज्य में औसतन 2.8 इंच वर्षा दर्ज की गई, जबकि सामान्य औसत 1.3 इंच रहती है। यानी 121 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। इस वजह से तापमान में भी बड़ी गिरावट देखी गई। भोपाल में अधिकतम तापमान सिर्फ 24 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, जो पिछले 25 सालों में सबसे कम रहा। मौसम विभाग के अनुसार, यह असामान्य गिरावट लगातार सक्रिय मौसमीय प्रणालियों का परिणाम रही।
मानसून गया, पर बादल ठहर गए
आमतौर पर अक्टूबर के मध्य में मानसून की विदाई के साथ आसमान साफ हो जाता है और मौसम शुष्क होने लगता है। लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट रही। लगभग चार महीने तक सक्रिय रहने के बाद 13 अक्टूबर को मानसून विदा हुआ, फिर भी राज्य के कई हिस्सों में बारिश का सिलसिला नहीं थमा। IMD भोपाल की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि अक्टूबर में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना पहले से ही जताई गई थी। मानसून के जाते-जाते भी साइक्लोनिक सर्कुलेशन, लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन सिस्टम जैसे प्रभावी कारकों ने अतिरिक्त 121 प्रतिशत बारिश दर्ज करवाई।
तेज हवाओं और बारिश से फसलों को नुकसान
अक्टूबर के अंतिम दिनों में सक्रिय हुए शक्तिशाली मौसमीय सिस्टम ने न केवल मौसम को ठंडा किया, बल्कि किसानों के लिए मुश्किलें भी बढ़ा दीं। नर्मदापुरम, श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों में तेज हवाओं और वर्षा के कारण खेतों में खड़ी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। कई इलाकों में धान और सोयाबीन की फसलें गिर गईं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, उज्जैन, छतरपुर और नरसिंहपुर जैसे जिलों में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया, जिससे ठंड का असर और गहरा महसूस किया जाने लगा।
आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम
मौसम विभाग के मुताबिक, नवंबर का पहला सप्ताह नमी भरा और ठंडा रहेगा। बादलों की आवाजाही बनी रहेगी और हल्की बारिश कई जिलों में हो सकती है। दूसरे सप्ताह से मौसम साफ होने लगेगा, लेकिन उत्तरी हवाएं धीरे-धीरे ठंड बढ़ाएंगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार मध्य प्रदेश में सर्दी सामान्य से अधिक और लंबी रहने की संभावना है। यानी नवंबर की हल्की फुहारों के बाद दिसंबर की ठिठुरन लोगों को पूरी तरह जकड़ सकती है।










