सीएम मोहन यादव का संदेश, मन की बात को 100% बूथों और युवाओं तक पहुँचाने पर दिया जोर

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By Abhishek SinghPublished On: October 27, 2025

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने बताया कि सितंबर में यह कार्यक्रम प्रदेश के 82% बूथों तक पहुंच चुका है और अब भाजपा इसे 100% बूथों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और संगठन महामंत्री हितानंद ने विभिन्न स्थानों पर कार्यकर्ताओं एवं आम नागरिकों के साथ कार्यक्रम का श्रवण किया।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के करूणाधाम मंडल (वार्ड-27, बूथ-48) में ‘मन की बात’ कार्यक्रम का श्रवण किया, जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने रायसेन जिले की सांची विधानसभा के सलामतपुर मंडल (ग्राम खोह, बूथ-7) और संगठन महामंत्री हितानंद ने बिहार के दरभंगा में कार्यक्रम सुना। डॉ. यादव और खंडेलवाल ने घरों पर स्वदेशी अपनाने के स्टीकर लगाकर लोगों को आत्मनिर्भर भारत का संकल्प दिलाया।

‘मन की बात’ से पूरे देश में सकारात्मक ऊर्जा का संचार

डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के माध्यम से पूरे देश में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है। यह कार्यक्रम देश के हर क्षेत्र को एक सूत्र में जोड़ता है और ‘लघु भारत’ की झलक प्रस्तुत करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा बच्चों की संस्कृत अभिव्यक्ति, भारत की कॉफी, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय और बिरसा मुंडा की जयंती के उल्लेख का संदर्भ दिया। साथ ही, 1 नवंबर को सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर केवड़िया में होने वाले आयोजन में मध्य प्रदेश के युवाओं की सक्रिय भागीदारी का उल्लेख करते हुए बताया कि इस पहल से पर्यटन और रोजगार दोनों को प्रोत्साहन मिला है।

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘मन की बात’ श्रवण कार्यक्रम के उपरांत आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के संकल्प के रूप में शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक भारत माता की सेवा और सम्मान के लिए अपने दैनिक जीवन में अधिकतम भारतीय उत्पादों का उपयोग करे और विदेशी वस्तुओं के स्थान पर देशी विकल्प अपनाए। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि घर, गांव और समाज में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें, किसानों और कारीगरों का सहयोग कर स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाएं। डॉ. यादव ने युवाओं और बच्चों को स्वदेशी वस्तुओं के महत्व से जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाया जाए तथा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी और प्रकृति-अनुकूल उत्पादों को अपनाया जाए। साथ ही, देश के पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता देने का आग्रह भी किया।