अगले 24 घंटों में इन 17 जिलों में होगी मूसलाधार बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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By Pinal PatidarPublished On: October 22, 2025

मध्यप्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में एक बार फिर मौसम ने करवट ले ली है। दिवाली के बाद जैसे ही लोगों ने सर्दी की उम्मीद की, वैसे ही अरब सागर से उठे सक्रिय सिस्टम ने राज्य में फिर से बारिश और गरज-चमक का माहौल बना दिया है। बीते दो दिनों से प्रदेश के कई हिस्सों में बादल छाए हुए हैं, वहीं कुछ जिलों में झमाझम बारिश ने त्योहार की चमक के बीच ठंडक घोल दी। जबलपुर में दिवाली की रात बारिश से सड़कों पर पानी भर गया, जबकि मंगलवार को भोपाल, इंदौर और देवास समेत कई इलाकों में हल्की बूंदाबांदी हुई। मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार को भी यही स्थिति बनी रह सकती है।

अरब सागर में सक्रिय सिस्टम से बदला मौसम का रुख


दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में बना लो-प्रेशर एरिया धीरे-धीरे ताकतवर हो रहा है। इस सिस्टम के कारण समुद्र में चक्रवातीय हलचलें शुरू हो गई हैं, जिनका असर अब मध्यप्रदेश के दक्षिणी जिलों तक पहुंच गया है। इंदौर, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, देवास, खंडवा, हरदा, बुरहानपुर, नर्मदापुरम, बैतूल, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी और बालाघाट जैसे जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गतिविधियां अगले 24 से 48 घंटे तक जारी रह सकती हैं।

दिन में गर्मी, रात में ठंड का असर

मौसम के इस बदलाव ने तापमान में भी दिलचस्प उतार-चढ़ाव दिखाया है। दिन में जहां हल्की धूप के कारण गर्मी महसूस हो रही है, वहीं रातें ठंडी होने लगी हैं। भोपाल में न्यूनतम तापमान गिरकर 17.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जबकि इंदौर में यह 18.6 डिग्री रहा। ग्वालियर और उज्जैन में तापमान 19.5 डिग्री के करीब रहा, और जबलपुर में रात का पारा 21 डिग्री दर्ज किया गया। सबसे ठंडी रात राजगढ़ की रही, जहां तापमान 15.4 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया। यानी, धीरे-धीरे सर्दी दस्तक दे चुकी है।

नवंबर से शुरू होगा ठंड का असली दौर

मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से प्रदेश में ठंड अपने पूरे शबाब पर होगी। दिसंबर से जनवरी तक कड़ाके की सर्दी का दौर चलेगा और इस बार फरवरी तक भी ठंडक का असर महसूस किया जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि 2010 के बाद यह सबसे ठंडी सर्दी साबित हो सकती है। ठंड के साथ इस बार सर्दियों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की भी संभावना जताई गई है। इसका असर खासतौर पर रबी फसलों और जल स्रोतों पर सकारात्मक रूप में देखा जा सकता है।

विदा हो गया मानसून, फिर भी बरस रहे बादल

हालांकि मौसम विभाग ने 13 अक्टूबर को आधिकारिक रूप से घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश से मानसून विदा हो चुका है, लेकिन अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ जैसे सिस्टम के कारण राज्य के कई इलाकों में अभी भी रुक-रुककर बारिश का सिलसिला जारी है। इस तरह अक्टूबर के आखिर तक भी प्रदेश में बादल और बूंदाबांदी का दौर बना हुआ है, जो मौसम को अप्रत्याशित बना रहा है।

इस बार मानसून में कई जिलों ने तोड़े रिकॉर्ड

इस साल का मानसून मध्यप्रदेश के लिए खासा सक्रिय रहा। प्रदेश में 16 जून को मानसून की एंट्री हुई थी और लगभग चार महीने (3 महीने 28 दिन) तक यह सक्रिय रहा। इस दौरान कई जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। गुना सबसे ज्यादा भीगा जिला रहा, जहां 65.7 इंच बारिश हुई। श्योपुर ने तो रिकॉर्ड तोड़ दिया — यहां सामान्य से 216.3% ज्यादा वर्षा हुई। वहीं ग्वालियर-चंबल संभाग में औसत से दोगुनी बारिश दर्ज की गई। दूसरी ओर, शाजापुर ऐसा जिला रहा जो सबसे पीछे रहा; वहां मात्र 28.9 इंच यानी 81.1% वर्षा हुई, जिसे “भारी कमी” की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि उज्जैन, सीहोर और बैतूल में सामान्य के करीब बारिश दर्ज की गई।

अगले मौसम की तैयारी में किसान और प्रशासन सतर्क

अब जब मानसून पूरी तरह विदा हो चुका है और सर्दी का मौसम दस्तक दे रहा है, तो किसान रबी फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार सर्दी लंबी और नम होगी, जिससे गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों को बेहतर नमी मिलेगी। प्रशासन भी ठंड और कोहरे के मद्देनजर यातायात और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सतर्क है।