एमपी में मौसम का बदलता मिजाज, कुछ जिलों में बादल, तो कुछ में खिली धूप, जानें IMD का पूर्वानुमान

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By Pinal PatidarPublished On: October 18, 2025

मध्यप्रदेश में इन दिनों मौसम में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। अक्टूबर के मध्य में जहां एक ओर सुबह और रात के तापमान में गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं दिन में धूप की तीव्रता अभी भी बनी हुई है। शनिवार को इंदौर संभाग के चार प्रमुख जिले बड़वानी, खरगोन, खंडवा और बुरहानपुर में बादल छाए रहने और कहीं-कहीं हल्की फुहारें पड़ने की संभावना जताई गई है। इसके विपरीत, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में आसमान साफ रहेगा और दिन भर हल्की गर्म धूप देखने को मिलेगी।

रातों में बढ़ा तापमान, दिन में बनी गर्मी की स्थिति


मौसम विभाग के अनुसार, हवा की दिशा में बदलाव के कारण रात के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बीते दो दिनों में ज्यादातर शहरों में न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा है। इससे रात के समय ठंड का अहसास पहले की तुलना में कम हो गया है। छतरपुर के नौगांव को छोड़ दें तो लगभग पूरे प्रदेश में ठंडक अभी कम महसूस हो रही है। दिन के समय धूप की तपिश भी हल्की गर्मी का एहसास करवा रही है। इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और खजुराहो में अधिकतम तापमान 33 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि शनिवार को दक्षिणी जिलों में बूंदाबांदी की संभावना है, लेकिन रविवार और सोमवार को पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा। फिलहाल कहीं भी बारिश की कोई चेतावनी नहीं दी गई है।

दिवाली के बाद दस्तक देगी ठंड, इस बार लंबी सर्दी के आसार

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल ठंड अपने तय समय से कुछ पहले दस्तक दे सकती है। दिवाली के बाद नवंबर से लेकर जनवरी तक प्रदेश में शीतलहर का प्रभाव तेज रहने की संभावना है। इतना ही नहीं, इस बार फरवरी तक भी ठंडक महसूस की जा सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, यह सर्दी पिछले 15 वर्षों में सबसे ठंडी सर्दियों में से एक हो सकती है। इसकी वजह उत्तर-पश्चिम भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और ला-नीना की स्थिति है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पहले ही पुष्टि की है कि ला-नीना का असर विकसित हो रहा है, जिससे ठंड और ज्यादा तीव्र और लंबी अवधि की होने की संभावना है।

प्रदेश से पूरी तरह विदा हुआ मानसून

इस बीच, मध्यप्रदेश से मानसून पूरी तरह विदा हो चुका है। इस बार मानसून 16 जून को प्रदेश में प्रवेश किया था और 13 अक्टूबर को इसकी औपचारिक विदाई हो गई। यानी करीब 3 महीने 28 दिन तक मानसून सक्रिय रहा। हालांकि मानसून के लौट जाने के बावजूद कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना बनी हुई है, जो मौसमी नमी के कारण है।

इस बार मानसून में हुई बेहतर बारिश

राज्य के लिए यह मानसून सामान्य से बेहतर साबित हुआ। भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन समेत लगभग 30 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। सबसे अधिक बारिश गुना जिले में दर्ज की गई, जहां कुल 65.7 इंच बारिश हुई। वहीं श्योपुर जिले में वर्षा सामान्य से 216.3% अधिक रही, जो एक रिकॉर्ड स्तर है। बारिश की इस अधिकता ने प्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है। हालांकि, कुछ जिले जैसे शाजापुर में बारिश सामान्य से कम रही, वहां मात्र 81.1% वर्षा दर्ज की गई, जो कमी की श्रेणी में आती है। दूसरी ओर, भोपाल, नर्मदापुरम और उज्जैन संभाग के कुछ हिस्सों में औसत से थोड़ी कम बारिश हुई, जबकि बैतूल और सीहोर जैसे जिलों में वर्षा सामान्य के करीब रही। कुल मिलाकर, इस बार का मानसून खेती और जल संसाधनों दोनों के लिहाज से संतोषजनक साबित हुआ।

आगे क्या उम्मीद?

मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले हफ्तों में दिन के तापमान में मामूली गिरावट और रात में ठंडक और बढ़ेगी। नवंबर के पहले सप्ताह से सुबह और देर रात हल्की सर्द हवाएं महसूस की जा सकेंगी। वहीं, दिसंबर से लेकर जनवरी तक प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ने की पूरी संभावना है।