प्रदेश सरकार जल्द ही राज्य के साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनरों के लिए एक बड़ी सौगात देने जा रही है। सरकार ने पेंशनरों की महंगाई राहत (Dearness Relief) में दो प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला लिया है, जिससे यह दर अब 55 प्रतिशत हो जाएगी। यह बढ़ोतरी अक्टूबर महीने से लागू की जाएगी। वित्त विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिस पर मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय लागू होते ही हजारों से अधिक पेंशनधारकों को आर्थिक राहत मिलेगी।
पेंशनरों की लंबे समय से उठ रही थी मांग
प्रदेश में कार्यरत कर्मचारियों को 1 जनवरी 2025 से 55 प्रतिशत महंगाई भत्ता (DA) मिल रहा है, जबकि पेंशनरों को मार्च 2025 से केवल 53 प्रतिशत महंगाई राहत दी जा रही है। इस असमानता को दूर करने के लिए पेंशनर एसोसिएशन लगातार आवाज उठा रही थी। संगठन ने राज्य सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर कर्मचारियों की तरह ही पेंशनरों को समान राहत देने की मांग की थी।
सरकार इस फैसले को लागू करने से पहले छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति का इंतजार कर रही थी, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच पेंशन नीति में समन्वय बना रहता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सितंबर की पेंशन से महंगाई राहत में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। इसके बाद मध्यप्रदेश के वित्त विभाग ने भी उसी तर्ज पर नया प्रस्ताव तैयार किया है।
58 प्रतिशत तक बढ़ सकती है राहत
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट बैठक में यह भी संभावना है कि पेंशनरों की महंगाई राहत को केवल 55 प्रतिशत तक सीमित न रखकर 58 प्रतिशत तक बढ़ाने पर भी विचार किया जाए। केंद्र सरकार पहले ही जुलाई 2025 से अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को 58 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है। ऐसे में राज्य सरकार भी केंद्र के अनुरूप फैसला लेकर पेंशनरों को अतिरिक्त लाभ दे सकती है। इससे पेंशनरों को हर महीने मिलने वाली राशि में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
किसानों के लिए भी बड़ी घोषणा की तैयारी
कैबिनेट बैठक में पेंशनरों के अलावा किसानों के हित में भी अहम निर्णय लिया जाएगा। सरकार ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए भावांतर भुगतान योजना को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत अगर किसान अपनी उपज को मंडी में बेचते हैं और उन्हें समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत मिलती है, तो राज्य सरकार उस अंतर की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा करेगी।
यह योजना केवल उन्हीं किसानों को लाभ देगी जिन्होंने अपना पंजीयन कृषि विभाग में करवाया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी किसान अपनी मेहनत की फसल औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर न हो। सरकार का कहना है कि इससे किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा।
सरकार का दोहरा उद्देश्य — पेंशनरों और किसानों दोनों को राहत
राज्य सरकार का यह कदम दो मोर्चों पर राहत देने वाला साबित होगा। एक ओर जहां बुजुर्ग पेंशनरों को बढ़ती महंगाई के बीच कुछ वित्तीय राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित होगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले भी कहा था कि सरकार का उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता पहुंचाना है।
यदि कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह फैसला राज्य के वित्तीय वर्ष 2025-26 की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। इससे प्रदेश के लाखों परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार की उम्मीद है।