एमपी में 2080 करोड़ की लागत से बनेगा एक्सप्रेस-वे, सिर्फ 10 घंटे में पूरा होगा दिल्ली-मुंबई तक का सफर

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By Abhishek SinghPublished On: October 11, 2025

उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (कंट्रोल्ड हाइवे) का पहला टेंडर निरस्त किए जाने के बाद मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) ने 102 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट के लिए पुनः 2418.46 करोड़ रुपये का नया टेंडर जारी किया। इस टेंडर की अंतिम तिथि 24 जुलाई तय की गई थी। 20 जून को जारी हुए इन टेंडरों को सितंबर में खोला गया, जिसमें एलएलसी वोल्गाडोरस्ट्रॉय कंपनी ने 2080 करोड़ रुपये की बोली लगाकर निर्माण कार्य का ठेका हासिल किया। परियोजना को दो साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

सात बड़े और 26 छोटे पुलों के साथ आधुनिक संरचना


इस हाईवे पर 7 बड़े और 26 छोटे पुलों के साथ कुल 270 पुलिया, 5 फ्लाईओवर और 2 रेलवे ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। यह मार्ग जावरा के निकट ग्राम भूतेड़ा से होकर गुजरेगा और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने इस परियोजना के लिए एक बार फिर टेंडर जारी किए हैं। इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद उज्जैन से दिल्ली या मुंबई तक की यात्रा केवल 10 घंटे में पूरी की जा सकेगी।

भूमि अधिग्रहण में अड़चनें बनी रुकावट का कारण

उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में सितंबर 2024 से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसे मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, किसानों द्वारा मुआवजे की राशि और सड़क के डिज़ाइन को लेकर उठाए गए आपत्तियों के साथ-साथ तकनीकी कारणों से कार्य रुक गया। इसी कारण परियोजना के लिए पुनः टेंडर जारी किए गए, और अब चयनित कंपनी को यह कार्य दो वर्षों के भीतर पूरा कर सौंपना होगा।

सिंहस्थ 2028 से पहले हाइवे निर्माण पूरा करने का लक्ष्य

इस परियोजना की लागत में से 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी, जबकि शेष 60 प्रतिशत खर्च ठेकेदार द्वारा किया जाएगा। हाईवे के निर्माण के बाद उज्जैन से मुंबई और दिल्ली तक की यात्रा केवल 10 घंटे में पूरी की जा सकेगी। उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे को सिंहस्थ 2028 से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

पहले 102.80 किलोमीटर लंबे उज्जैन-जावरा फोरलेन प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी, जो इस स्थान पर ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे के रूप में विकसित किया जाना था। शहरी इलाकों में इसके विरोध के कारण संघर्ष समिति ने लगातार तीन महीनों तक धरना प्रदर्शन भी किया। अब इस हाईवे को पीपीपी (सार्वजनिक-निजी साझेदारी) मॉडल पर हाइब्रिड एनयूटी आधार पर निर्माण किया जाएगा।