भारतीय प्रबंध संस्थान, इंदौर (आईआईएम इंदौर) ने 9–10 अक्टूबर 2025 को स्पोर्ट और बिजनेस कॉन्फ्रेंस 2.0 का सफल आयोजन किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन टेलर एंड फ्रांसिस (अकादमिक पार्टनर), रेवस्पोर्ट्ज़ (मीडिया पार्टनर) और GPEC-X UK (नॉलेज पार्टनर) के सहयोग से किया गया। सम्मेलन में विद्वानों, उद्योग विशेषज्ञों, खिलाड़ियों, पत्रकारों और नीति निर्माताओं का समूह शामिल हुआ, जिन्होंने खेल और व्यवसाय के बदलते संबंधों और भारत के संभावित वैश्विक खेल शक्ति बनने के अवसरों और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।
सम्मेलन का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने किया। मुख्य अतिथि पद्म भूषण श्री पुल्लेला गोपीचंद, भारत के मुख्य राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच; प्रो. विजय पेरेरा, GPEC-X UK के संस्थापक और प्रबंध निदेशक; डॉ. बोरिया मजूमदार, रेवस्पोर्ट्ज़ के संस्थापक और संपादक; प्रो. नलिन मेहता, राजनीतिक वैज्ञानिक, पत्रकार और लेखक; और श्री अशोक नमबूदिरी, ग्लोबल मीडिया और स्पोर्ट्स बिज़नेस लीडर, इस अवसर पर उपस्थित रहे।
प्रो. हिमांशु राय ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि खेल और प्रबंधन का संगम नेतृत्व, दृढ़ता और प्रदर्शन में अद्वितीय सबक प्रदान करता है। उन्होंने भारत की शाश्वत दार्शनिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि किसी वैश्विक कार्यक्रम के लिए सच्ची तैयारी केवल बुनियादी ढांचा, वित्त या नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें साहस, बुद्धि और क्रीड़ा का समन्वय आवश्यक है – यानी बुद्धि द्वारा मार्गदर्शित साहस और खेल की आनंदपूर्ण, अनुशासित भावना। उन्होंने कहा, “भारत में पहले से ही वह दृष्टि, शक्ति और सामंजस्य है, जो दुनिया को प्रेरित करने के लिए आवश्यक है।” खेल और व्यवसाय के मेल पर उन्होंने कहा कि खेल एक एकजुट करने वाली शक्ति है, जो युवाओं को प्रेरित करती है, राष्ट्रीय गौरव जगाती है और भारत की शक्ति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करती है, जबकि व्यवसाय इसके लिए आवश्यक संरचना, पूंजी और नीति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत में विविध खेल क्षेत्रों में बढ़ती उपस्थिति इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और खेल उत्कृष्टता को राष्ट्रीय शक्ति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव में बदलने के लिए आवश्यक प्रतिभा, दृष्टि और राजनीतिक इच्छाशक्ति पहले से ही रखता है।
पुल्लेला गोपीचंद ने कहा कि खेल क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में काफी विकसित हो गया है। उन्होंने शिक्षकों, नीति निर्माताओं और संस्थानों से अनुरोध किया कि वे केवल खेल के चैंपियन तैयार करने पर ध्यान न दें, बल्कि बच्चों में शारीरिक साक्षरता और समावेशिता को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि खेल शिक्षा में सच्ची सफलता यह नहीं तय करती कि कक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन कौन करता है, बल्कि यह उस अंतिम व्यक्ति के सकारात्मक अनुभव से निर्धारित होती है। उन्होंने कहा, “हमें यह सोचना चाहिए कि कितने खेल नहीं रहे हैं, न कि कितने खेल रहे हैं।” श्री गोपीचंद ने राष्ट्र से अपने खेल की सादगी से पुनः जुड़ने और वर्तमान प्रणालियों की आत्ममूल्यांकन करने का आग्रह किया। उन्होंने दृढ़ता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “जितनी बड़ी चुनौतियों को आप पार करेंगे, आपका मन उतना ही मजबूत होगा,” और सभी हितधारकों से खेल की सरलता और शक्ति को अपनाने का आग्रह किया।
प्रो. विजय पेरेरा ने अकादमिक और उद्योग जगत के सहयोग का महत्व साझा किया। उन्होंने “ज्ञान पारिस्थितिक तंत्र” की आवश्यकता पर जोर दिया, जो शैक्षणिक कठोरता को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के साथ जोड़ता है, और विद्वानों से आग्रह किया कि वे ऐसे शोध पर ध्यान दें जो नीति को प्रभावित करे और स्थायी खेल व्यवसाय मॉडल विकसित करे। डॉ. बोरिया मजूमदार ने उपस्थित श्रोताओं को याद दिलाया कि भारत में खेल केवल मनोरंजन नहीं रहे, बल्कि यह व्यवसाय नवाचार, मीडिया विकास और राष्ट्रीय पहचान का गंभीर माध्यम बन गए हैं।
सम्मेलन में दो प्रेरक प्लेनरी भाषण भी हुए। प्रो. नलिन मेहता ने भारतीय खेल में बदलती राजनीति और मीडिया कथाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि खेल भारत की सामाजिक आकांक्षाओं और वैश्विक छवि का दर्पण बन गया है, और 2036 तक का मार्ग केवल एथलेटिक उत्कृष्टता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण से भी जुड़ा है। अशोक नमबूदिरी ने वैश्विक खेल अर्थव्यवस्था में तकनीकी नवाचार, दर्शक जुड़ाव और डेटा विश्लेषण के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला, जो खेल की खपत और मुद्रीकरण को पूरी तरह बदल रहा है।
सम्मेलन में एक विशेष सत्र और वर्कशॉप भी आयोजित की गई। डॉ. बोरिया मजूमदार ने “Sports Media and the Way Ahead” विषय पर सत्र आयोजित किया, जिसमें डिजिटल मीडिया द्वारा खिलाड़ी की कथाओं और खेल पत्रकारिता के बदलते स्वरूप की चर्चा की गई। उन्होंने अधिक जिम्मेदार और सूक्ष्म मीडिया वातावरण की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो. विजय पेरेरा की वर्कशॉप “No Easy Road to Publication – How Not to Irritate the Editors” ने युवा रिसर्च स्कॉलर्स को शैक्षणिक प्रकाशन की दुनिया में व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया।
सम्मेलन में तीन पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। पहला पैनल “Practitioners and Sports” सुश्री तारुका श्रीवास्तव द्वारा संचालित हुआ। इसमें शामिल थे: श्री सुषील दोषी, पद्म श्री एवं क्रिकेट टिप्पणीकार; श्री अक्षत खम्परिया, इंटरनेशनल मास्टर; श्री अशोक नमबूदिरी; और प्रो. उत्तियो रायचौधरी, वाईस प्रोवोस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेनवर। चर्चा का केंद्र खेल प्रसारण, एथलीट ब्रांडिंग और वाणिज्यिकीकृत खेल में प्रामाणिकता बनाए रखने की चुनौतियां थीं।
दूसरा पैनल “Academics and Sports” विषय पर आयोजित हुआ। इसमें प्रो. जूलिया बालोगुन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिवरपूल मैनेजमेंट स्कूल; प्रो. डेविड कॉकेन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिवरपूल; प्रो. सौदीप डेब, आईआईएम बेंगलुरु; प्रो. शौवन चौधुरी, आईआईएम कोझिकोड; और प्रो. सनी जियोंग, विटेनबर्ग यूनिवर्सिटी शामिल हुए। इस पैनल ने डेटा विश्लेषण, अंतर-विषयक अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के महत्व पर जोर दिया।
तीसरा पैनल “Healthcare and Sports” विषय पर हुआ जिसमें प्रो. विजय पेरेरा, श्री विनोद मुकुंदन, एक्टिवोलैब्स, और प्रो. डी. एन. वेन्कटेश, गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट शामिल हुए। चर्चा में खेल चिकित्सा, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और डेटा-आधारित स्वास्थ्य निगरानी के माध्यम से खिलाड़ी विकास और दीर्घायु पर ध्यान दिया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिन में पेपर प्रेजेंटेशन हुए, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय और खेल, वित्त, सीएसआर, नैतिकता और प्रदर्शन विश्लेषण जैसे विषय शामिल थे। ये सत्र खेल प्रबंधन के क्षेत्र में नए शोध और विविध दृष्टिकोणों की जीवंतता को प्रदर्शित करते हैं।
दो दिन के इस सम्मेलन में दो दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए। आईआईएम इंदौर में आयोजित स्पोर्ट और बिजनेस कॉन्फ्रेंस 2.0 इस विचार को मजबूत करता है कि खेल का भविष्य केवल एथलेटिक क्षमता में नहीं, बल्कि अनुसंधान, रणनीति और नवाचार की शक्ति में निहित है।