9 से 18 अक्टूबर को लगेगा स्वदेशी मेला, सीएम योगी गोरखपुर से करेंगे शुभारंभ, हस्तशिल्पियों को 1500 करोड़ का बाजार देने की तैयारी

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By Abhishek SinghPublished On: October 10, 2025

प्रदेश के सभी जिलों में 9 से 18 अक्तूबर तक स्वदेशी मेले आयोजित किए जाएंगे, जो दिवाली से पहले हस्तशिल्पियों को करीब 1500 करोड़ रुपए के व्यापार का अवसर प्रदान करेंगे। इन मेलों में छोटे हस्तशिल्पी, महिलाएं और लघु उद्यमी अपने उत्पाद प्रदर्शित कर सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को गोरखपुर से इन मेलों का औपचारिक शुभारंभ करेंगे। सभी मंत्रियों को मेलों के संचालन और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन मेलों का मुख्य उद्देश्य दिवाली के बाजार को चीनी उत्पादों से मुक्त करना है।


स्वदेशी मेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना, उद्योगों को सशक्त बनाना और ‘वोकल फॉर लोकल’ के संदेश को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है। इन दस दिवसीय मेलों का आयोजन शहर के ऐसे व्यावसायिक और सुविधाजनक स्थानों पर किया जा रहा है, ताकि आम जनता आसानी से पहुँच सके और सक्रिय रूप से भाग ले सके।

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 के तहत जनपद स्तर पर स्वदेशी मेलों के आयोजन के निर्देश जारी किए गए हैं। इस दौरान जनपद के प्रभारी मंत्री सहित अन्य जनपद प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाएगा। प्रत्येक जनपद में उपायुक्त उद्योग नोडल अधिकारी की भूमिका निभाएंगे और जिलाधिकारी से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। साथ ही, इन स्वदेशी मेलों को जीएसटी बचत उत्सव के रूप में भी मनाया जा रहा है।

सभी उत्पादकों को मुफ्त स्टॉल

स्वदेशी मेले में उद्योग विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, माटी कला बोर्ड, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, रेशम विभाग, ग्रामीण आजीविका मिशन, सीएम युवा, ओडीओपी, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, पीएमईजीपी, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लाभार्थियों, वित्त पोषित इकाइयों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य उत्पादकों को मुफ्त स्टॉल उपलब्ध कराए गए हैं। मेले में वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी के लिए जेम पोर्टल का उपयोग अनिवार्य रखा गया है।

स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को मिलेगा मंच

इन मेलों में स्थानीय कारीगरों, उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों और ग्रामीण उद्योगों को अपनी कला और उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में आयोजित ये मेले दिवाली से पहले ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को एक जन आंदोलन का रूप देंगे, जिससे ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाओं को नई दिशा मिलेगी।